सीख; एक दिन अजामिल को लेने यमदूत पहुंच गए तो बूढ़ा ब्राह्मण डर गया और नारायण-नारायण चिल्लाने लगा, भगवान विष्णु के दूत भी अपने भगवान के नाम का जप सुनकर वहां पहुंच गए…….

अजामिल नाम का एक ब्राह्मण बुढ़ापे में अपने आचरण से गिर गया था और एक वेश्या के साथ रहने लगा था। उसका एक पुत्र हुआ, जिसका नाम उसने नारायण रखा। बूढ़ा अजामिल अपने बेटे को हमेशा नारायण-नारायण कहकर पुकारता था।

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एक दिन अजामिल को लेने यमदूत पहुंच गए तो बूढ़ा ब्राह्मण डर गया और नारायण-नारायण चिल्लाने लगा। भगवान विष्णु के दूत भी अपने भगवान के नाम का जप सुनकर वहां पहुंच गए।

अजामिल बीच में खड़ा था, एक तरफ यमदूत खड़े थे और दूसरी ओर देवदूत खड़े थे। देवदूतों ने कहा, ‘ये हमारे भगवान का नाम ले रहा है तो आप इसे नहीं ले जा सकते हैं।’

दोनों पक्षों के बीच विवाद होने लगा तो देवदूतों ने यमदूतों की पिटाई कर दी। पिटे हुए यमदूत यमराज के पहुंच गए और पूरी बात बताई। यमराज ने अपने दूतों से कहा, ‘हमारी इस संबंध में भगवान से बात हुई है। उन्होंने कहा है कि कुछ स्थितियों में व्यक्ति को मृत्यु के समय सम्मान मिलना चाहिए। ये खास स्थितियां हैं- अगर व्यक्ति तीर्थ यात्रा में हो, गुरु के पास बैठा हो, सत्संग कर रहा हो और भगवान के नामों का जप कर रहा हो। इन चार स्थितियों में मृत्यु को व्यक्ति का सम्मान करना होगा।’

इस तरह यमराज ने दूतों को समझाया और इसके बाद यमदूत अजामिल को सम्मान के साथ यमलोक लेकर आए।

सीख

मृत्यु तो सभी की आनी है, लेकिन अंतिम दिनों में अगर कोई व्यक्ति गुरु के पास बैठा है, सत्संग कर रहा है, जप कर रहा है या तीर्थ दर्शन कर रहा है तो मृत्यु के समय उसका मन शांत रहेगा। ये चारों काम शुभ माने गए हैं, ये धार्मिक कर्म हैं, इसलिए नहीं, बल्कि ये इन चारों कामों में अनुशासन की जरूरत होती है। जीवन में अनुशासन रहेगा तो व्यक्ति मृत्यु का भी ठीक से स्वागत कर सकता है।

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