सीख; ब्रह्मा जी समझ गए थे कि इन पांचों से तो संसार नहीं चलने वाला है, इस वजह से ब्रह्मा जी दुखी हो गए और सोचने लगे कि दुनिया की रचना कैसे करूंगा, उनके दुख से क्रोध प्रकट हो गया, क्रोध की वजह से…….
ब्रह्मा जी दुनिया बनाने की तैयारी कर रहे थे। इस काम के लिए उन्होंने पांच मानस पुत्रों को उत्पन्न किया। उनके नाम थे सनक, सनंदन, सनातन, रिभू और सनत कुमार। ये पांचों योगी थे और सृष्टि से विरक्त थे।
ब्रह्मा जी समझ गए थे कि इन पांचों से तो संसार नहीं चलने वाला है। इस वजह से ब्रह्मा जी दुखी हो गए और सोचने लगे कि दुनिया की रचना कैसे करूंगा। उनके दुख से क्रोध प्रकट हो गया। क्रोध की वजह से ब्रह्मा जी की आंखों से आंसू गिरने लगे तो भूत-प्रेत पैदा हो गए।
क्रोध और भूत-प्रेत को देखकर ब्रह्मा जी खुद की निंदा करने लगे कि ये मैंने क्या कर दिया? ये सब सोचते-सोचते ब्रह्मा जी बेहोश होकर गिर पड़े और उन्होंने अपने प्राण ही त्याग दिए। इसके बाद उनके मुंह से शिव जी प्रकट हुए और अपने 11 रूप बनाए, जिन्हें 11 रुद्र कहा जाता है।
शिव जी के 11 रूप इधर-उधर दौड़ने लगे, रोने लगे। रोने और दौड़ने की वजह से ही इनका नाम रुद्र पड़ा। इसके बाद शिव जी ने ब्रह्मा जी के प्राण लौटाए, उन्हें जगाया।
शिव जी ने ब्रह्मा जी से कहा, ‘मैं आपके मुंह से प्रकट हुआ हूं तो एक तरह से आपका पुत्र हूं। मैं संसार के निर्माण में आपकी मदद करूंगा। ये 11 रुद्र हैं, ये भी मदद करेंगे। इसके बाद शिव जी और ब्रह्मा जी ने इस संसार की रचना की।
सीख
इस पूरी घटना का संदेश ये है कि बड़े काम में एक व्यक्ति थक जाता है तो दूसरे व्यक्ति को मदद करनी चाहिए। ये बात ध्यान रखते हुए काम करेंगे तो दुनिया का मुश्किल से मुश्किल काम भी पूरा किया जा सकता है। ब्रह्मा जी और शिव जी को भी एक-दूसरे की मदद की जरूरत लगती है। हमें भी मिल-जुलकर काम करना चाहिए, तभी बड़े-बड़े लक्ष्य हासिल हो सकते हैं।