सीख; स्वामी विवेकानंद से अक्सर लोग कहते थे कि देश में अंग्रेज का शासन होने की वजह व्यापार सही से नहीं होता है, हालात एकदम बुरे हो गए हैं, स्वामी जी चाहते थे कि भारत फिर से पहले जैसा व्यापार……

स्वामी विवेकानंद से कई लोग कहते थे कि देश में अंग्रेज का शासन होने की वजह व्यापार ठीक से नहीं चलता है। बुरे हाल हो गए हैं। स्वामी जी चाहते थे कि भारत फिर से पहले जैसा व्यापार करके धन कमाए।

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एक बार स्वामी विवेकानंद न्यूयॉर्क में थे और उनके एक साथी भारत में कलकत्ता में थे। एक दिन स्वामी जी ने अपने साथी को पत्र लिखा, ‘राम दयाल बाबू, मूंग, अरहर आदि दाल का व्यापार इंग्लैंड और अमेरिका में अच्छी तरह चल सकता है। अगर ठीक से काम किया जाए तो दाल के सूप की भी कद्र होगी। दाल की छोटी-छोटी पुड़िया बनाकर उस पर पकाने का तरीका छापकर बेच सकते हैं। ये काम अमेरिका-इंग्लैंड में किया जा सकता है। गोदाम स्थापित करो। मंगौड़े भी बेचे जा सकते हैं। यहां कोई कंपनी स्थापित करो।’

उन्होंने आगे लिखा, ‘ऐसी व्यवस्था करो कि भारतीय वस्तुएं विदेश भेज सके तो धंधा बहुत अच्छा चलेगा।’

स्वामी जी का पत्र पाकर उनके साथी ने जवाब में एक पत्र लिखा, ‘मैं गृहस्थी भी बसाना चाहता हूं और धन भी कमाना चाहता हूं।’

मित्र के पत्र के जवाब में स्वामी जी ने लिखा, ‘तुम अमेरिका आ जाओ। हमारे देश में संभावनाएं खोजी नहीं जा रही हैं।’

इसके बाद विवेकानंद जी की सलाह पर कई लोगों ने ऐसा व्यापार किया था। स्वामी जी का ये पत्र व्यवहार हमें बता रहा है कि उनकी दूरदृष्टि अद्भुत थी।

सीख

ये किस्सा हमें समझा रहे है कि धन कमाने की सारी संभावनाओं को खोजते रहना चाहिए। हमारे आसपास अवसर तो बहुत हैं और जो व्यक्ति अवसरों को खोज लेगा, वह सफल हो जाएगा।

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