सीख; सृष्टि की शुरुआत में सबसे पहले एक कमल खिला था, उसमें ब्रह्मा जी बैठे थे, ब्रह्मा जी को अकेलापन महसूस हुआ तो उस समय वे सोचने लगे कि किसी का साथ पाने के लिए किसी और प्राणी का निर्माण कैसे……

शिव जी और देवी पार्वती के सम्मिलित स्वरूप को अर्द्धनारीश्वर कहा जाता है। इस स्वरूप में आधा शरीर शिव जी का और आधा देवी पार्वती का रहता है। इस संबंध में शिवपुराण की एक कहानी है। ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना कर रहे थे और जब-जब उनके काम में कोई प्राकृतिक बाधा आ रही थी, तब-तब शिव जी उनकी मदद कर रहे थे।

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ब्रह्मा जी के सामने एक समस्या ये आई कि संसार को आगे कैसे बढ़ाया जाए। प्राणियों की मृत्यु के बाद बार-बार प्राणियों की रचना करना मुश्किल हो रहा था। ब्रह्मा जी सोचने लगे कि कैसे ये सृष्टि अपने आप संचालित हो सकती है। ब्रह्मा जी अपनी समस्या लेकर शिव जी के पास पहुंचे। उस समय शिव जी ने अर्द्धनारीश्वर अवतार लेकर ब्रह्मा जी को संदेश दिया था कि संसार को आगे बढ़ाने के लिए स्त्री-पुरुषों की मैथुनी सृष्टि की रचना करनी चाहिए। इस सृष्टि में स्त्री और पुरुष दोनों समानता से भूमिका निभाएंगे।

लिंग पुराण की कथा

लिंग पुराण के मुताबिक, सृष्टि की शुरुआत में सबसे पहले एक कमल खिला था। उसमें ब्रह्मा जी बैठे थे। ब्रह्मा जी को अकेलापन महसूस हुआ तो उस समय वे सोचने लगे कि किसी का साथ पाने के लिए किसी और प्राणी का निर्माण कैसे किया जा सकता है। ब्रह्मा जी ऐसा विचार कर ही रहे थे, तभी उनके सामने शिव जी प्रकट हुए। शिव जी का दाहिना हिस्सा पुरुष का और बायां हिस्सा स्त्री का था। ये शिव जी का अर्द्धनारीश्वर स्वरूप था। इससे प्रेरित होकर ब्रह्मा जी ने अपने आप को दो हिस्सों में बांट दिया। दाएं हिस्से से पुरुष और बाएं हिस्से से स्त्री जीवों की उत्पत्ति हो गई। इस तरह सृष्टि की शुरुआत हो गई।

अर्द्धनारीश्वर स्वरूप की सीख

शिव जी से मिले संदेश के बाद ब्रह्मा जी ने मैथुनी सृष्टि की रचना की। शिव जी का अर्द्धनारीश्वर स्वरूप हमें संदेश दे रहा है कि संसार में महिला और पुरुष दोनों एक समान हैं। हमें इन दोनों का सम्मान करना चाहिए। किसी का भी अपमान न करें। एक-दूसरे के बिना इनका जीवन अधूरा है, यह दोनों एक-दूसरे को पूरा करते हैं।

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