सीख; शिष्य ने बुद्ध से पूछा कि क्या इन चट्टानों से भी ज्यादा कोई और शक्तिशाली हो सकता है, बुद्ध ने जवाब देते हुए कहा कि इन चट्टानों से ज्यादा लोहा शक्तिशाली है, लोहे की मार से…….

गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी कई प्रेरक प्रसंग प्रचलित हैं। अगर इन प्रसंगों की सीख को जीवन में उतार लिया जाए तो हम सफलता के साथ ही तरक्की भी पा सकते हैं। यहां जानिए बुद्ध का एक ऐसा ही प्रेरक प्रसंग…

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> प्रसंग के अनुसार एक बार गौतम बुद्ध अपने शिष्य के साथ किसी पहाड़ी क्षेत्र से गुजर रहे थे। रास्ते में शिष्य ने बड़ी-बड़ी चट्टानें देखीं। विशाल और मजबूत चट्टानों को देखकर शिष्य ने बुद्ध से पूछा कि क्या इन चट्टानों से भी ज्यादा कोई और शक्तिशाली हो सकता है?

> बुद्ध ने जवाब देते हुए कहा कि इन चट्टानों से ज्यादा लोहा शक्तिशाली है। लोहे की मार से बड़ी-बड़ी चट्टाने टूट सकती हैं। शिष्य बोला कि मतलब लोहा सबसे शक्तिशाली है?

> बुद्ध ने कहा कि नहीं, लोहे से ज्यादा शक्तिशाली अग्नि है। अग्नि लोहे को तपाकर उसका रूप बदल सकती है। शिष्य फिर बोला कि मतलब अग्नि सर्वशक्तिमान है?

> बुद्ध ने जवाब दिया कि नहीं, जल अग्नि को ठंडा कर सकता है। ये बात सुनकर शिष्य सोच में पड़ गया। बुद्ध समझ गए कि शिष्य की जिज्ञासा अभी शांत नहीं हुई है। शिष्य फिर बोला कि जल से ज्यादा शक्तिशाली कौन है? बुद्ध ने कहा कि वायु जल की दिशा बदल सकती है, लेकिन वायु भी सबसे ज्यादा शक्तिशाली नहीं है।

> बुद्ध ने आगे कहा कि इस संसार में सर्वशक्तिमान सिर्फ हमारी संकल्प शक्ति है। हमारी संकल्प शक्ति से हम पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश को नियंत्रित कर सकते हैं। संकल्प शक्ति से ही हमारे अंदर कठोरता, उष्णता, शीतलता को काबू किया जा सकता है। इसीलिए संकल्प शक्ति ही सबसे शक्तिशाली है।

कथा की सीख

इस कथा की सीख यह है कि अगर हम सफलता के साथ उन्नति पाना चाहते हैं तो इसके लिए हमें हमारी संकल्प शक्ति को मजबूत करना होगा। किसी काम के लिए संकल्प करें तो उसे पूरा करने तक आराम नहीं करना चाहिए।

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