सीख; श्रीराम जटायु से बड़े प्रेम से मिले थे, जटायु को भी बड़ा संतोष हुआ था कि श्रीराम मुझसे इतने प्रेम से मिले, इसके बाद श्रीराम ने पंचवटी में अपना निवास बनाया, उस क्षेत्र के सभी ऋषि-मुनि…….

श्रीराम की वनवास यात्रा चल रही थी। यात्रा में वे पंचवटी पहुंच गए थे। वहां उनकी मुलाकात जटायु से हुई थी। ये वही जटायु था, जो सीता हरण के समय रावण से युद्ध करके घायल हो गया था।

R

श्रीराम जटायु से बड़े प्रेम से मिले थे। जटायु को भी बड़ा संतोष हुआ था कि श्रीराम मुझसे इतने प्रेम से मिले। इसके बाद श्रीराम ने पंचवटी में अपना निवास बनाया। उस क्षेत्र के सभी ऋषि-मुनि बहुत सुखी हो गए थे। वहां राक्षसों का आतंक खत्म हो गया था।

श्रीराम का व्यक्तित्व बहुत दिव्य था। इस कारण पंचवटी का प्राकृतिक वातावरण भी दिव्य हो गया था। कई तरह के पशु-पक्षी पंचवटी के आसपास आने लगे थे।

जिसके शरीर से सकारात्मक तरंगें निकलती हैं, उसके आसपास का वातावरण अच्छा ही होता है। एक दिन श्रीराम, लक्ष्मण और सीता अपनी कुटिया में बैठे थे तो उस समय लक्ष्मण ने श्रीराम से कहा, ‘मेरे मन में कुछ प्रश्न हैं। आप उत्तर दीजिए। माया क्या है?’

श्रीराम बोले, ‘मैं तुम्हें संक्षेप में समझाऊंगा, क्योंकि तुमने जो प्रश्न पूछे हैं, उनका उत्तर विस्तार में भी दिया जा सकता है। तुम मन लगाकर, चित्त को शुद्ध करके मेरी बातें ध्यान से सुनना। जहां तक मन जाता है, वहां तक माया रहती है।’ इसके बाद श्रीराम ने लक्ष्मण को वैराग्य, ज्ञान और भक्ति के बारे में भी बताया।

श्रीराम ने पंचवटी में तीन खास काम किए थे। सबसे पहले श्रीराम जटायु से मिले। फिर ऋषि-मुनियों से मिले, पशु-पक्षियों को आनंदित किया। इसके बाद अपने परिवार में बैठकर ज्ञान, वैराग्य, नीतियों की बातें कीं।

सीख

हमें भी अपना जीवन ऐसे ही जीना चाहिए। सार्वजनिक रूप से सभी के साथ प्रेम से रहें। घर-परिवार के लोगों के साथ ज्ञान, वैराग्य, नीतियों की और अच्छे गुणों की बात करनी चाहिए। धार्मिक काम करते रहें। परिवार में बातचीत शुरू हो और मतभेद हो जाए, ऐसी बातों से बचें।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *