सीख; पितरों की चिंता दूर करने के लिए शिलाद मुनि ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए तप किया, शिव जी मुनि के तप से प्रसन्न हो गए और वे प्रकट हुए, तब शिलाद मुनि ने……..
शिव पूजा में गणेश जी, माता पार्वती, कार्तिकेय स्वामी के साथ ही नंदीश्वर की भी पूजा जरूर की जाती है। नंदी को शिव जी का अवतार माना गया है। हर शिव मंदिर में शिवलिंग के साथ ही नंदीश्वर भी जरूर होते हैं। काफी लोग शिव मंदिर जाते हैं तो नंदी के कान में अपनी मनोकामनाएं कहते हैं। जानिए नंदी भगवान से जुड़ी कुछ खास मान्यताएं…
ये है नंदी के जन्म से जुड़ी कथा
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य और शिव पुराण कथाकर पं. मनीष शर्मा के मुताबिक नंदीश्वर के जन्म की कथा शिलाद मुनि से जुड़ी है। शिलाद ब्रह्मचारी ऋषि थे। शिलाद मुनि ने विवाह नहीं किया था तो उनके पितरों को इस बात की चिंता होने लगी कि शिलाद के बाद उनका वंश खत्म हो जाएगा। सभी पितर शिलाद मुनि के सामने प्रकट हुए और उन्हें अपनी चिंता के बारे में बताया। पितरों ने कहा कि तुम ब्रह्मचारी हो, इस वजह से हमारा वंश ही खत्म हो जाएगा। कुछ ऐसा करो, जिससे तुम्हें संतान मिले और हमारा वंश आगे बढ़ सके।
पितरों की चिंता दूर करने के लिए शिलाद मुनि ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए तप किया। शिव जी मुनि के तप से प्रसन्न हो गए और वे प्रकट हुए। तब शिलाद मुनि ने शिव जी से एक पुत्र संतान पाने का वर मांगा। शिव जी ने शिलाद मुनि को मनचाहा वरदान दे दिया।
इसके बाद एक दिन शिलाद मुनि खेत में हल चला रहे थे, उस समय उन्हें एक बालक खेत में से मिला। शिलाद मुनि ने उस बच्चे को अपना लिया और उसका नाम नंदी रखा। कुछ समय बाद शिलाद मुनि के आश्रम में दो तपस्वी मुनि आए और उन्होंने बताया कि नंदी अल्पायु है। इस बात से वे दुखी रहने लगे। उस समय नंदी ने पिता को दुखी देखा तो इसकी वजह पूछी। शिलाद मुनि ने नंदी के अल्पायु होने की बात बताई।
नंदी ने पिता शिलाद से कहा कि आप चिंता न करें। ऐसा कुछ नहीं होगा। इसके बाद नंदी ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या शुरू कर दी। कठीन तपस्या से शिव जी प्रसन्न हुए और नंदी के सामने प्रकट हुए। शिव जी नंदी से कहा कि तुम मेरे ही अंशावतार हो। इसलिए तुम्हें मृत्यु से डरने की जरूरत नहीं है।
नंदी ने शिव जी से कहा कि आप मुझे अपनी सेवा में रखें। तब शिव जी ने नंदी को अपना वाहन बनाया और अपने सभी गणों में प्रमुख नियुक्त कर दिया। इसके बाद से नंदी हर पल शिव जी के साथ ही रहते हैं। इसी कथा की वजह से हर शिव मंदिर में शिवलिंग के साथ ही नंदी भी होते हैं।
नंदी के कान में मनोकामना कहने की परंपरा क्यों है?
जब भक्त शिव जी के दर्शन करने जाते हैं तो नंदी के कान में मनोकामना कहते हैं। इसके पीछे मान्यता ये है कि शिव जी पूरे समय तपस्या में लीन रहते हैं। ऐसी स्थिति में नंदी भक्तों की मनोकामनाएं सुनते हैं और जब शिव जी तपस्या से उठते हैं, तब नंदी भगवान को भक्तों की मनोकामनाएं बताते हैं। इसके बाद भगवान अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा करते हैं। इसी मान्यता की वजह से नंदी के कान में मनोकामना कहने की परंपरा प्रचलित है।
नंदी पूजा के बिना अधूरी रहती है शिव पूजा
जब हम शिव पूजा करते हैं, तब नंदी की पूजा जरूर करनी चाहिए। नंदी की पूजा के बिना शिव पूजा अधूरी ही मानी जाती है। नंदी शिव जी को विशेष प्रिय हैं। नंदी शिव जी के परम भक्त हैं और अपने भक्त नंदी की पूजा करने वाले भक्तों पर शिव जी विशेष कृपा करते हैं।