सीख; हमें मुश्किल हालातों में भी निडर रहना चाहिए, हनुमान जी ने खुद का स्वरूप छोटा किया और फिर लंका में प्रवेश किया, इसका मतलब ये है कि हमें अहंकार छोड़कर…….

कभी-कभी जीवन में ऐसे हालात बन जाते हैं, जब मुश्किलें बहुत बड़ी लगने लगती हैं और हम असफल होने की संभावनाओं से डर जाते हैं। हालात कैसे भी हों, हमें हर पल निडर रहकर ही काम करना चाहिए। भगवान का ध्यान करते हुए काम करेंगे तो मुश्किल काम भी सफल हो सकता है।

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ऊपर लिखी सीख हम हनुमान जी से सीख सकते हैं। रामायण के सुंदरकांड की कहानी है। सीता की खोज करते हुए हनुमान जी लंका के द्वार तक पहुंच गए थे। वे लंका के एक ऊंचे पर्वत पर थे।

हनुमान जी ने पर्वत पर एक बहुत बड़ा किला देखा। ये किला रावण की लंका थी। लंका पूरी सोने की थी और चमक रही थी। हनुमान जी ने ऊंचाई देखा तो लंका के अंदर सुंदर-सुंदर बहुत बड़े-बड़े घर, महल थे, वहां चौराहे, बाजार, हाथी-घोड़े सब कुछ दिखाई दे रहा था। रावण की लंका में सुख-सुविधा की हर चीज थी।

लंका को देखने के बाद हनुमान जी नजर रावण के सैनिकों पर पड़ी। ये सैनिक बड़े-बड़े राक्षस थे। वे गाय-भैसों को मार-मारकर खा रहे थे। ऐसे भयानक और ताकतवर राक्षस लंका की रक्षा कर रहे थे। ये दृश्य इतना डरवाना था कि कोई भी घबरा जाता, लेकिन हनुमान जी ने श्रीराम का ध्यान किया और सोचा कि डरने की कोई बात नहीं है।

हनुमान जी लंका में प्रवेश करने की योजना बना रहे थे। उन्होंने सोचा कि अगर वे इसी रूप में लंका में प्रवेश करने की कोशिश करेंगे तो राक्षसों से युद्ध हो जाएगा और अभी मुझे युद्ध नहीं करना है। ऐसा सोचकर हनुमान जी खुद का आकार बहुत ही छोटा कर लिया और श्रीराम का ध्यान करते हुए लंका में प्रवेश कर गए।

हनुमान जी ने इस प्रसंग में हमें सीख दी है कि हमें मुश्किल हालातों में भी निडर रहना चाहिए। हनुमान जी ने खुद का स्वरूप छोटा किया और फिर लंका में प्रवेश किया, इसका मतलब ये है कि हमें अहंकार छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए। अपनी ताकत का घमंड न करें, विवादों से बचें और हालात के अनुसार काम करना चाहिए। अगर हम भगवान का ध्यान करते रहेंगे तो मुश्किल काम भी सफल हो सकते हैं।

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