कहते हैं कि इस गुफा में छिपा है कब होगा इस कलयुग का अंत का राज, यहां आप एक साथ कर सकते हैं चारों धाम के दर्शन
पाताल भुवनेश्वर उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के शहर अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए 160 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ियों के बीच बने कस्बे गंगोलीहाट में स्थित है। पाताल भुवनेश्वर में देवदार के घने जंगलों के बीच कई सारी गुफाएं हैं। इन्हीं में से एक बड़ी गुफा में शंकर जी का मंदिर भी है। पाताल भुवनेश्वर की मान्यताओं के मुताबिक, इसकी खोज आदि जगत गुरु शंकराचार्य ने की थी।
भगवान शंकर ने पांडवों के साथ खेला था चौपड़
पुराणों मे लिखा है कि त्रेता युग में सबसे पहले इस गुफा को राजा ऋतुपूर्ण ने देखा था , द्वापर युग में पांडवों ने यहां शंकर भगवान के साथ चौपाड़ खेला था और कलयुग में जगत गुरु शंकराचार्य का 722 ई. के आसपास इस गुफा से साक्षात्कार हुआ तो उन्होंने यहां तांबे का एक शिवलिंग स्थापित किया। बाद में कुछ राजाओं ने इस गुफा की खोज की थी। आज के समय में पाताल भुवानेश्वर गुफा आने वाले सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। देश-विदेश से कई सैलानी इस प्राचीन गुफा और यहां स्थित मंदिर के दर्शन करने के लिए आते रहते हैं।
इसी गुफा में है गणेश भगवान का कटा हुआ सिर
हिंदू धर्म में भगवान गणेशजी को प्रथम पूज्य माना गया है। गणेशजी के जन्म के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने क्रोध में गणेशजी का सिर धड़ से अलग कर दिया था, बाद में माता पार्वतीजी के कहने पर भगवान गणेश को हाथी का मस्तक लगाया गया था लेकिन जो मस्तक शरीर से अलग हुआ मान्यता है कि वह मस्तक भगवान शिवजी ने पाताल भुवनेश्वर गुफा में रख दिया था।
कलयुग का अंत बताता है यह पत्थर
इस गुफाओं में चारों युगों के प्रतीक रूप में 4 पत्थर स्थापित है। इनमें से एक पत्थर जिसे कलयुग का प्रतीक माना जाता है, वह धीरे-धीरे ऊपर उठ रहा है। यह माना जाता है कि जिस दिन यह कलयुग का प्रतीक पत्थर दीवार से टकरा जाएगा, उस दिन कलयुग का अंत हो जाएगा।
होते हैं इन धामों के दर्शन
इस गुफा के अंदर केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के दर्शन होते हैं। बद्रीनाथ में बद्री पंचायत की शिलारूप मूर्तियां हैं। जिनमें यम-कुबेर, वरुण, लक्ष्मी, गणेश तथा गरूड़ शामिल हैं। तक्षक नाग की आकृति भी बनी चट्टान में नजर आती है। इस पंचायत के ऊपर बाबा अमरनाथ की गुफा है तथा पत्थर की बड़ी- बड़ी जटाएं फैली हुई हैं। इसी गुफा में कालभैरव जीभ के दर्शन होते हैं। धार्मिक मान्यता है कि मनुष्य कालभैरव के मुंह से गर्भ में प्रवेश कर पूंछ तक पहुंच जाए तो उसे मोक्ष प्राप्ति होती है।