एक जगह दो घड़ी से ज्यादा नारद मुनि नहीं ठहरते थे क्यों? किसने और क्यों दिया था उन्हें ये श्राप, जानिए

नारद मुनि ब्रह्माजी के पुत्र हैं। नारद मुनि का महत्व इतना है कि उनका आदर सत्कार देवी-देवता द्वारा तो किया ही जाता था। लेकिन असुरलोक के राजा समेत सारे राक्षसगण भी उन्हें सम्मान दिया करते थे। लेकिन क्या आप कि उन्हें भी एक श्राप मिला था जिसके कारण वह एक जगह नहीं ठहर पाते।

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क्यों कहा जाता है समाचार का देवता

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नारद मुनि ब्रह्मा जी की गोद से पैदा हुए थे। ब्रह्मा जी का पुत्र बनने के लिए उन्होंने कड़ी तपस्या की थी। वह सृष्टि के पहले संदेश वाहक यानी पत्रकार भी माने जाते हैं। देवर्षि नारद को समाचार के देवता भी कहा जाता है। क्योंकि वह हमेशा तीनो लोकों में भ्रमण कर सूचनाओं का आदान-प्रदान करते थे।

राजा दक्ष ने दिया था ये श्राप

नारद मुनि के एक जगह न टिकने के पीछे राजा दक्ष द्वारा दिया गया श्राप है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राजा दक्ष के 10 हजार पुत्र थे जिन्हें नारद जी से मोक्ष की शिक्षा देकर राजपाठ से विरक्त कर दिया। बाद में दक्ष ने पंचजनी से विवाह किया और उनके एक हजार पुत्र हुए।

नारद जी ने दक्ष के इन पुत्रों को भी मोह-माया से दूर रहकर मोक्ष की राह पर चलना सिखाया। जिस कारण इनमें से किसी ने भी दक्ष का राज-पाट नहीं संभाला। इस बात पर राजा दक्ष बहुत क्रोधित हुए और इसी के चलते उन्होंने नारद जी को श्राप दे दिया कि तुम हमेशा इधर-उधर भटकते रहोगे और एक स्थान पर दो घड़ी से ज्यादा समय तक नहीं ठहर सकोगे।

पिता से भी मिला था श्राप

नारद मुनि को अपने पिता ब्रह्मा जी से भी एक श्राप मिला है। मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा जी ने नारद मुनि को सृष्टि के कामों में उनका हाथ बटाने और विवाह करने के लिए कहा था लेकिन नारद जी ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करने से इंकार कर दिया था। जिसके चलते ब्रह्मा जी ने उन्हें श्राप दिया कि तुम आजीवन अविवाहित रहोगे।

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