आप कितना जानते हैं कोणार्क के सूर्य मंदिर के बारे में, किसने कराया था इसका निर्माण, जानिए

कोणार्क मंदिर सूर्यदेव को समर्पित है। यह दुनियाभर में प्रसिद्ध है। देश और दुनिया से बड़ी संख्या में श्रद्धालु सूर्यदेव के दर्शन और मंदिर अवलोकन हेतु कोणार्क आते हैं। साल 1984 में कोणार्क मंदिर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की मान्यता दी गई। कोणार्क मंदिर निर्माण को लेकर इतिहासकारों में असहमति है। कई जानकारों का कहना है कि कोणार्क मंदिर का निर्माण गंग वंश के शासक राजा नृसिंहदेव द्वारा करवाया गया है।

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वहीं, कुछ जानकर तर्क देते हैं कि राजा नृसिंहदेव की मृत्यु के बाद कोणार्क मंदिर का पूर्व निर्माण नहीं हो सका। वर्तमान समय में मंदिर का अधूरा ध्वस्त ढांचा का मुख्य कारण राजा नृसिंहदेव की मृत्यु को बताते हैं। हालांकि, इसमें सत्यता का अभाव है। जानकारों की मानें तो सन 1260 में कोणार्क मंदिर का निर्माण हो चुका था। जबकि, राजा नृसिंहदेव का शासन काल 1282 तक रहा था। आइए, इस मंदिर के बारे में सबकुछ जानते हैं-

किदवंती है कि भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब शापित थे। उन्हें कोढ़ रोग था। कालांतर में साम्ब ने मित्रवन में चंद्रभागा नदी के संगम पर तट स्थल पर भगवान सूर्यदेव की कठिन तपस्या की। भगवान सूर्य को वैद्य माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान सूर्य की उपासना करने से सभी रोगों से मुक्ति मिलती है। अतः साम्ब ने भी सूर्यदेव की कठिन भक्ति कर उन्हें प्रसन्न किया। उस समय भगवान सूर्यदेव ने प्रसन्न होकर साम्ब को ठीक कर दिया था। तदोउपरांत, साम्ब ने कोणार्क में सूर्यदेव का मंदिर निर्माण करने का तय किया। ऐसा कहा जाता है कि जब साम्ब चंद्रभागा नदी में स्नान कर रहे थे, तो उन्हें सूर्यदेव की एक मूर्ति मिली, जिसका निर्माण वास्तु विशेषज्ञ विश्वकर्मा जी ने की थी। कालांतर में मित्रवन में साम्ब ने सूर्य मंदिर का निर्माण किया।

कोणार्क मंदिर भारत के ओड़िशा राज्य स्थित जगन्नाथ पूरी से 35 किलोमीटर दूर पर कोणार्क शहर में अवस्थित है। इस मंदिर का निर्माण कलिंग वास्तु कला के अंतर्गत हुई है। इस मंदिर का निर्माण बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से हुआ है। कोणार्क दो शब्दों कोण और अर्क से मिलकर बना है। अर्क अर्थात सूर्यदेव हैं। इस मंदिर में सूर्यदेव रथ पर सवार हैं।

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