सीख; एक दिन हाथी ने अपने महावत को पैरों से कूचलकर मार डाला, जब राजा को ये बात मालूम हुई तो उसने दूसरा महावत हाथी की देखरेख के लिए नियुक्त कर दिया……..

पुरानी लोक कथा के अनुसार एक राजा का हाथी बहुत ही शांत था। वह अपने महावत के सारे इशारों को और उसकी बातों को अच्छी तरह समझता था। राजा को वह हाथी बहुत प्रिय था, इसीलिए उसकी खास देखभाल की जाती थी। जिस जगह हाथी को रखा जाता था, उसके पास ही चोरों ने अपना अड्डा बना लिया। चोर रोज रात में वहां आते और अपनी चोरी के कारनामे सुनाते, भविष्य में चोरी करने के लिए योजनाएं बनाते, एक-दूसरे की प्रशंसा करते थे। हाथी चोरों की बातें सुना करता था।

T

> धीरे-धीरे हाथी को ये अहसास होने लगा कि ये लोग अच्छा काम करते हैं। हाथी पर चोरों की बातों का ऐसा असर हुआ कि वह भी आक्रामक हो गया। एक दिन उसने अपने महावत को पैरों से कूचलकर मार डाला। जब राजा को ये बात मालूम हुई तो उसने दूसरा महावत हाथी की देखरेख के लिए नियुक्त कर दिया।

> कुछ ही दिन बाद हाथी ने नए महावत को भी कुचल दिया। एक शांत हाथी में हुए इस बदलाव के कारण राजा परेशान हो गया। राजा और उसके मंत्रियों को ये समझ नहीं आ रहा था कि हाथी आक्रामक क्यों हो गया है? राजा ने एक वैद्य को बुलवाया।

> वैद्य ने हाथी को देखा और उसके आसपास के क्षेत्र की छानबीन की तो उसे मालूम हुआ कि जहां हाथी को रखा जाता है, उसके पास ही चोरों का अड्डा है। वैद्य ने राजा से कहकर वहां से चोरों को पकड़वाया और उस स्थान पर साधु-संतों के रहने की जगह बनवा दी।

> इसके बाद से हाथी रोज साधु-संतों की ज्ञान की बातें सुनता। धीरे-धीरे उसका आक्रामक स्वभाव शांत होने लगा और वह फिर से पहले की तरह ही हो गया। राजा ने वैद्य को सम्मानित किया।

कथा की सीख

इस कथा की सीख यह है कि हम पर धीरे-धीरे ही सही, लेकिन हमारी संगत का असर जरूर होता है। अगर हम बुरे लोगों के साथ रहेंगे तो हमारी मानसिक स्थिति भी वैसी ही होने लगेगी। इसीलिए संतों का संग करने की सलाह दी जाता है। रोज कुछ देर प्रवचन सुनना चाहिए, ताकि बुरी बातों का असर हम पर न हो सके।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *