राजा ने अपने महल में नए सेवक को देख उससे पूछा कि तुम्हारा नाम क्या है, सेवक राजा से बोला कि महाराज आप जिस नाम से मुझे बुलाएंगे, वही मेरा………..
ज्यादातर लोग भगवान की भक्ति इसलिए करते हैं कि उनकी कोई इच्छा पूरी हो सके. वह अपनी भक्ति के बदले में भगवान से कुछ ना कुछ चाहते हैं. लेकिन ऐसी भक्ति सच्ची भक्ति नहीं होती. इस संबंध में एक कथा प्रचलित है, जिसमें बताया गया है कि एक सच्चे भक्त को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
राजा के महल में एक नया सेवक आया, राजा उस सेवक से बोला कि तुम्हारा नाम क्या है, सेवक ने राजा को जवाब देते हुए कहा कि महाराज जिस भी नाम से आप मुझे बुलाएंगे वही मेरा नाम होगा, इसके बाद राजा ने
प्राचीन कथा के मुताबिक, एक समय में किसी राजा के महल में एक नया सेवक आया. राजा ने उससे उसका नाम पूछा, तो सेवक ने कहा कि महाराज आप मुझे जिस नाम से बुलाएंगे, वही मेरा नाम होगा. इसके बाद राजा ने उससे पूछा कि तुम्हें खाने में क्या पसंद है. तुम सुबह शाम क्या खाओगे. सेवक ने उससे कहा कि महाराज आप जो देंगे, मैं वह खा लूंगा.
इसके बाद राजा ने पूछा कि तुम्हें किस तरह के वस्त्र पहनना पसंद है, तो सेवक ने जवाब दिया कि राजन, आप जैसे वस्त्र देंगे मैं उन्हें पहन लूंगा. राजा ने पूछा कि तुम्हें कौन-कौन से काम करना आते हैं. सेवक ने राजा से कहा कि आप जो काम देंगे, मैं वह कर लूंगा. राजा ने सेवक से अंतिम प्रश्न पूछा कि तुम्हारी क्या इच्छा है. सेवक ने राजा को उत्तर दिया कि महाराज, एक सेवक की कोई इच्छा नहीं होती. जैसे मालिक रखता है, उसे वैसे ही रहना पड़ता है.
राजा सेवक की बात सुनकर खुश हो गया और उसने सेवक को अपना गुरु बना लिया. राजा ने सेवक से कहा कि तुमने आज मुझे बहुत बड़ी सीख दी है. अगर हम भक्ति करते हैं तो हमें भगवान के सामने किसी तरह की शर्त या इच्छा नहीं रखनी चाहिए. तुमने मुझे यह बता दिया कि एक सच्चा भक्त और सेवक कैसा होना चाहिए.