हनुमान जी का परिवार : पांच भाइयों में सबसे बड़े थे हनुमान जी, क्या आपको पता है बजरंगबली के पुत्र का क्या नाम है?
बजरंगबली, भगवान श्रीराम के परम भक्त माने गए हैं और कलयुग के जागृत देवताओं में भी शामिल हैं। भगवान श्रीराम ने उन्हें कलयुग के अंत तक धरती पर ही रहने का निर्देश दिया था और यही कारण कि बजरंगबली के समक्ष जो भी कष्ट उनके भक्त रखते हैं वह उसे जरूर हर लेते हैं। बजरंगबली को इसी कारण से संकटमोचन भी कहा जाता है। मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करने का विशेष दिन होता है।
इतनी बातें तो अमूमन हनुमान जी के सभी भक्त जानते हैं, लेकिन कुछ और भी रोचक बातें हैं, जो उनके भक्तों को जरूर जानना चाहिए। तो आइए आज आपको उनसे जुड़ी कई बातों से परिचित कराएं।
1. हनुमानजी पांच भाइयों में थे सबसे बड़े : हनुमानजी के पांच सगे भाई भी थे। पुराणों में वानर राज केसरी के छह पुत्रों का जिक्र मिलता है और इसमें हनुमान जी सबसे बड़े थे। उनके बाकी पांचों भाई विवाहित भी थे। हनुमानजी के पांच भाईयों में मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान और धृतिमान शामिल थे। इसलिए इनके भाईयों का वंश अब भी चलता है।
2. भगवान शिव के 11वें अवतार हैं बजरंगबली : हनुमान जी मां एक अप्सरा थी लेकिन एक ऋषि ने उनकी मां अंजना को श्राप दिया था कि वह जब भी किसी से प्रेम करेंगी तो उनका मुंह वानर के समान हो जाएगा। तब उन्होंने भगवान ब्रह्मा से इस श्राप से मुक्ति के लिए प्रार्थना की। तब ब्रह्मा जी ने उन्हें पृथ्वी पर मानव के रूप में जन्म लेने का रास्ता बताया और तब अंजना वानरों के राजा केसरी के साथ प्रेम करने लगी और दोनों ने शादी कर ली। अंजना भगवान शिव की परम भक्त थी और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनके पुत्र के रूप में जन्म लेने का वरदान उन्हे दिया था। हनुमान जी का जन्म शिव का 11 अवतार माना गया है।
3. इसलिए कहे गए बजरंगबली : एक बार हनुमानजी ने देवी सीता से पूछ कि वह वह सिंदूर क्यों लगाती है? तब सीता जी ने बताया कि, भगवान श्रीराम उनके पति हैं और उनकी रक्षा और लंबी आयु के लिए वह सिंदूर लगाती हैं। यह सुनकर हनुमानजी ने सोचा कि यदि देवी सीता जी इतना जरा सा सिंदूर लगा कर भगवान की उम्र बढ़ा सकती है तो वह क्यों न पूरे शरीर में इसे उनके नाम पर लगा लें और उन्होंने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया। क्योंकि सिंदूर को बजरंग भी कहा जाता है इसलिए उन्हें बजरंगबली कहा जाने लगा और उन्हें सिंदूर चढ़ाया जाता हैl
4. हनुमान का अर्थ होता है विकृत जबड़ा : संस्कृत हनु का अर्थ है जबड़ा और मान का अर्थ है विकृत। हनुमानजी ने एक बार सूर्य को फल समझकर खा लिया था तब क्रोधित होकर भगवान इन्द्र ने बालक मारुति पर वज्र से प्रहार कर दिया जिससे उनका जबड़ा टूट गया था और वे मूर्छित हो गए तब से उनका नाम हनुमान भी पड़ गया। अन्यथा बचपन मे उनका नाम मारुति ही थ।
5. ब्रह्मचारी हनुमान जी के पुत्र भी थे: हनुमान जी ब्रह्मचारी थे लेकिन उनका एक पुत्र भी था मकरध्वज। मकरध्वज का जन्म मछली के पेट से हुआ था। बताया जाता है कि जब हनुमानजी पूरी लंका को जला कर समुद्र में अपनी पूंछ की आग बुझाने गए तब उनके पसीने को एक मछली ने निगल लिया था और इसी पसीने से मकरध्वज का जन्म हुआ था।
6. भगवान राम ने हनुमानजी को दी थी मौत की सजा: एक दंतकथा के अनुसार एक बार नारदजी के कहने पर हनुमानजी ने विश्वामित्र को छोड़कर सभी संतों का स्वागत किया,लेकिन उनका नहीं। एक समय विश्वामित्र राजा हुआ करते थे। यह देख विश्वामित्र काफी नाराज हुए और उन्होंने भगवान राम से हनुमानजी को मृत्युदंड देने के लिए कहा। विश्वामित्र भगवान के गुरू थे इसलिए वह उनकी बात को टाल नहीं सकते थे, तब उन्होंने हनुमानजी पर वाणों की बौछार कर दी l यह देख हनुमानजी तुरंत श्रीराम का नाम जपने लगे और सभी बाण वहां से लौट गए। तब यह देखकर भगवान ने ब्रह्मास्त्र चला दिया लेकिन ब्रह्मास्त्र भी ध्यानमग्न हनुमानजी की प्रदक्षिणा कर वापस लौट आया। इसके बाद विश्वामित्र भी भगवान के सामने नतमस्तक हो गए।
7. हनुमानजी ने भी रामायण की रचना की थी : क्या आपको पता है कि वाल्मीकि रामायण के अलावा भी हनुमान जी ने रामायण की रचना की थी और ये वाल्मिकी रामायण की तुलना में बेहतर भी थी। लंका विजय के बाद भगवान राम का राज्याभिषेक करा कर हनुमान जी हिमालय पर्वत पर चले गए और यहीं पर हिमालय की पहाड़ों पर अपने नाखूनों से उन्होंने भगवान श्रीराम की कहानी लिखी। कथा के अनुसार जब महर्षि वाल्मीकि अपनी रचित रामायण को हनुमानजी को दिखाने के लिए गए तब उन्होंने दीवारों पर वर्णित रामायण देखा और इसे देख कर वह उदास हो गए, क्योंकि वह रामायण बहुत ही श्रेष्ठ थी। वह जानते थे कि उनकी रामायण को कोई वाचन नहीं करेगा, लेकिन जब हनुमानजी ने जब वाल्मीकि की तकलीफ को जाना तो उन्होंने इसे तुरंत मिटा दिया।
8. हनुमानजी और भीम का संबंध : हनुमानजी का जन्म पवनदेव की कृपा से हुआ था और भीम का जन्म भी पवनदेव की कृपा से ही हुआ था। इस लिहाज से दोनों एक दूसरे के भाई हुए।
9. श्रीराम ने धोखे से हनुमान जी को मृत्यु के समय हटा दिया था: भगवान राम जब अपना शरीर त्याग कर बैकुंठ वापस जाने वाले थे तब वह जानते थे कि यदि हनुमान जी वहां होंगे तो यह संभव नहीं होगा। तब श्रीराम जी ने अपनी एक अंगूठी को पाताल लोक में गिरा दिया और हनुमानजी को उसे ढूंढ़कर लाने को कहा। हनुमान जी को धोखे से पाताल लोक भेजकर कर भगवान राम ने सरयू नदी में डूबकी लगाकर अपने मनुष्यरूपी शरीर का त्याग दिया था।
10. हनुमानजी ने देवी सीता का उपहार नकारा था: भगवान राम के राज्याभिषेक के बाद देवी सीता ने सभी लोगों को उपहार दिया और हनुमानजी को एक मोती का हार उपहार मे दिया, लेकिन हनुमानजी में उस हार के हरेक मोती को तोड़कर उसमें भगवान राम की छवि खोजने लगे। जब वे भगवान राम को उसमें नहीं पा सके तो उन्होंने जब वे भगवान राम को उसमें नहीं पा सके तो उन्होंने इस उपहार को नकार दिया।
हनुमान जी के प्रसंग पुराणों में वर्णित हैं और इन तथ्यों से उनके रामभक्त होने के साथ ही उनके भोलेपन का भी पता चलता है।