क्या आपको पता है घरों के निर्माण में नदी के रेत का ही उपयोग क्यों किया जाता है, समुंदर या रेगिस्तान की रेत क्यों नहीं

घर बनाते समय रेत का इस्तेमाल जरूर किया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि घर के निर्माण में जो रेत इस्तेमाल होती है वह नदी से निकालकर लाई जाती है. जबकि भारत में रेगिस्तान और समुद्र किनारे भी रेत है. लेकिन फिर भी नदी की रेत का ही इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा क्यों. इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए आपको पहले यह बता दें कि समुद्र या रेगिस्तान से रेत को संग्रहित करना नदी से रेत को निकालने से काफी आसान है.

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बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट, पशु चिकित्सक शैलेंद्र सिंह ने बताया कि रेगिस्तान की रेत का इस्तेमाल घर के निर्माण में नहीं किया जा सकता, जिस का वैज्ञानिक कारण है. निर्माण कार्य में मोटी, मध्यम और महीने का इस्तेमाल होता है. समुद्र तट और रेगिस्तान की रेत निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाली सबसे महीन रिश्ते भी बारीक होती है. इस वजह से इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता.

दूसरा कारण यह है कि नदी से प्राप्त होने वाली रेत खुरदरी भी होती है जो बाकी निर्माण सामग्री घर्षण के कारण इसे मजबूती प्रदान करती है. जबकि रेगिस्तान की रेत चिकनाई, बारीकी और गोलाई के कारण निर्माण सामग्रियों को बांधकर नहीं रख पाती. नदियों की रेत गोलाई में नहीं होती है. इस वजह से इनकी सतह घर्षण के कारण निर्माण को ज्यादा मजबूती देती हैं.

समुद्र की रेत में एक और खामी यह है कि इसमें क्लोराइड मौजूद होती है जिससे निर्माण कार्य में प्रयुक्त स्टील और लोहे में जंग लग जाएगी. इन्हीं कारणों से रेगिस्तान और समुन्द्र की रेत का प्रयोग निर्माण कार्य में नहीं होता.

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