एक संत हमेशा यात्रा करते रहते थे, कहीं-कहीं वे कुछ दिन ठहर भी जाते थे, ऐसे ही एक बार वे यात्रा के दौरान जंगल से गुजर रहे थे, वे अपना रास्ता भटक गए……..
आत्मविश्वास बनाए रखेंगे तो बड़ी-बड़ी समस्याओं को भी आसानी से हल किया जा सकता है। ये बात एक लोक कथा से समझ सकते हैं। कथा के अनुसार पुराने समय में एक संत हमेशा यात्रा करते रहते थे। कहीं-कहीं वे कुछ दिन ठहर भी जाते थे। ऐसे ही एक बार वे यात्रा कर रहे थे।
यात्रा करते समय वे एक जंगल में पहुंच गए। काफी देर जंगल में भटकने के बाद भी उससे बाहर नहीं निकल सके। वे रास्ता भटक गए थे। बहुत देर तक चलने की वजह से वे काफी थक गए थे। खाने-पीने की चीजें भी खत्म हो गई थीं। संत अपने साथ एक कमंडल और रस्सी हमेशा रखते थे।
काफी भटकने के बाद उन्हें एक कुआं दिखाई दिया। उस कुएं में इतना पानी था कि एक हिरण बहुत आसानी से पानी पी रहा था। संत को प्यास लग रही थी तो वे भी कुएं की ओर चल दिए।
जब वे कुएं के पास पहुंचे तो पानी अचानक नीचे पहुंच गया। ये देखकर संत हैरान थे। उन्होंने इधर-उधर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था। ये देखकर उनकी प्यास खत्म हो गई थी। तभी वहां आवाज आई कि हिरण को एक पशु है, इस वजह से उसके लिए हमने पानी ऊपर कर दिया था। लेकिन, तुम्हारे पास तो कमंडल और रस्सी है। तुम उससे पानी भरो।
ये सुनकर संत को गुस्सा आ गया। उन्होंने कमंडल और रस्सी को वहीं छोड़ दिया और आगे बढ़ गए। तभी वहां आवाज आई कि कहां जा रहे हो? हम तो तुम्हारी परीक्षा ले रहे थे। तुम अब पानी पी सकते हो। तुमने कमंडल और रस्सी का भी मोह छोड़ दिया और आगे बढ़ गए। इसका मतलब यही है कि तुम्हें खुद पर भरोसा है, तुम इन चीजों के बिना भी जी सकते हो। यही आत्मविश्वास तुम्हारी सबसे बड़ी ताकत है।
ये बातें सुनकर संत को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन अब उनका खुद पर विश्वास और अधिक बढ़ गया था।