एक सेठ के पास सुख-सुविधा की कोई कमी नही थी, परिवार में भी सभी खुश थे, लेकिन फिर भी उसके जीवन में सुकून नहीं था, उसका मन…….
आधुनिक युग में काफी लोग ऐसे हैं, जिनके पास सुख-सुविधा तो बहुत है, लेकिन खुशी और शांति नहीं है। किसी भी व्यक्ति को शांति क्यों नहीं मिलती, इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। जानिए ये कथा…
प्रचलित कथा के अनुसार एक धनी सेठ के पास धन-संपत्ति और सुख-सुविधा की कोई कमी नहीं थी। परिवार में भी कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन उसे जीवन में आनंद नहीं मिल रहा था, उसका मन अशांत ही रहता था। मानसिक तनाव बढ़ रहा था।
ऐसी स्थिति से निकलने का उसके पास कोई उपाय नहीं था। तभी एक दिन उसके नगर में एक प्रसिद्ध संत पहुंचे। संत के पास नगर के लोग प्रवचन सुनने पहुंच रहे थे। सेठ को भी संत के बारे में मालूम हुआ तो वह भी उनके आश्रम पहुंच गया।
धनी सेठ ने संत को अपनी परेशानियां बताईं। संत ने सेठ की सारी बातें ध्यान से सुनी। सेठ की बातें खत्म होने के बाद संत ने कहा कि मेरे पास एक उपाय है। यहां बैठो और आंखें बंद करके मेडिटेशन करो।
सेठ ने आंखें बंद की और ध्यान लगाने की कोशिश करने लगा। जैसे ही उसने अपनी आंखें बंद की, उसके दिमाग में व्यापार के लेन-देन की और अपने शत्रुओं की बातें घूमने लगीं। बहुत कोशिश के बाद भी वह ध्यान लगाने में कामयाब नहीं हो पाया। उसने आंखें खोलीं और संत को पूरी बात बताई।
विद्वान संत ने कहा कि कोई बात नहीं, आप मेरे साथ बाहर बाग में चलो। सेठ और संत दोनों बाग में पहुंच गए। तभी सेठ ने एक गुलाब तोड़ने के लिए हाथ आगे बढ़ाया तो उसे कांटा चुभ गया। संत उसे लेकर तुरंत आश्रम में पहुंचे और हाथ में लेप लगा दिया। संत सेठ से बोले कि एक छोटे से कांटे से हमें इतना दर्द होता है। तुम्हारे मन में क्रोध, लालच, शत्रुता, घमंड जैसे बड़े-बड़े कांटे चुभे हुए हैं। इनके रहते तुम्हें शांति कैसे मिल सकती है। तुम्हें सबसे पहले इन सारी बुरी बातों को छोड़ना चाहिए।
सेठ को संत की बातें समझ आ गईं। उसने अपना व्यापार घर वालों के हवाले कर दिया और वह संत का शिष्य बन गया। इसके बाद से उसका मन शांत हो गया।