एक नदी के किनारे पेड़ पर चिड़िया अपना घोंसला बनाकर रहती थी, उसी पेड़ के नीचे एक सांप बिल बनाकर रहता था, चिड़िया जब भी घोसले में अंडा देती तो……..
एक नदी किनारे एक पेड़ था, जिस पर चिड़िया का घोंसला था। उसमें चिड़िया रहती थी, जबकि उसी पेड़ के नीचे एक सांप भी रहता था। जब भी चिड़िया घोंसले में अंडा देती तो सांप अंडों को खा जाता। सांप हर बार ऐसा करता। लेकिन चिड़िया छोटी थी, इस वजह से वह उसका सामना नहीं कर पाती।
एक दिन चिड़िया ने चतुर कौवे को पूरी बात बताई। कौवे ने उससे कहा ठीक है हम इस सांप का कोई उपाय करते हैं। इस नदी में एक राजकुमारी स्नान करने के लिए आती थी। कौवे ने चिड़िया से कहा कि जब भी राजकुमारी यहां आए तो तुम मुझे बुला लेना।
फिर चिड़िया ने ऐसा ही किया। जब अगले दिन राजकुमारी नदी में स्नान करने आई तो चिड़िया ने कौवे को बुला लिया। राजकुमारी स्नान करने से पहले अपने सारे सोने के गहने किनारे पर उतार कर रख गई। कौवा वहां से हार उठा लाया और और सांप के बिल में डाल दिया।
राजकुमारी के सैनिक उसके पीछे पीछे आ रहे थे। कौवा बिल में हार डालकर उड़ गया। जैसे ही हार बिल में गया, सांप बाहर निकल आया। सांप को देखकर सैनिकों ने उसको मार डाला और हार बाहर निकाल दिया। इसके बाद चिड़िया की परेशानी दूर हो गई।
कथा की सीख
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है अगर शत्रु बड़ा और ताकतवर है तो हमें उसका सामना बुद्धिमानी से करना चाहिए। सांप का सामना चिड़िया और कौवे ने एक साथ मिलकर किया, क्योंकि वे इतने ताकतवर नहीं थे। उन्होंने अपनी बुद्धि के इस्तेमाल से सांप को मरवा दिया। इसी तरह से हमें भी करना चाहिए।