एक बार एक शिष्य ने आश्रम में चोरी की, बाकी शिष्यों ने उसे चोरी करते हुए पकड़ लिया, वे सभी गुरु के पास पहुंचे और बोले कि ये चोरी कर रहा……
एक दिन आश्रम में एक शिष्य ने चोरी की। अन्य शिष्यों ने उसे चोरी करते हुए पकड़ लिया। सभी शिष्य उसे लेकर गुरु के पास पहुंचे और बताया कि ये लड़का चोरी कर रहा था। गुरु ने सभी शिष्यों की बात सुनी, लेकिन चोरी करने लड़के को कुछ नहीं कहा। सभी शिष्य गुरु के इस व्यवहार से हैरान हो गए।
कुछ दिन बाद फिर वही लड़का चोरी कर रहा था और अन्य शिष्यों ने उसे फिर पकड़ लिया। उसे लेकर वे गुरु के पास गए। गुरु को चोरी करने वाले लड़के की पूरी बात बताई और कहा गुरुजी ये बार-बार चोरी कर रहा है, लेकिन आश्रम से बाहर निकाल दीजिए। गुरु सभी की बात सुनी, लेकिन चोरी करने वाले लड़के से कुछ नहीं कहा।
इस बार सभी शिष्य नाराज हो गए और उन्होंने गुरु से कहा की गुरुजी इस लड़के को बाहर निकलना ही पड़ेगा, ये चोर है। वरना हम सब यहां से चले जाएंगे। गुरु समझ गए कि सभी शिष्य नाराज हैं।
संत ने कहा कि आप सभी शिष्य अच्छा-बुरा समझते हैं, अच्छे परिवार से हैं, आपको सभी को ये मालूम है कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं, आपको कहीं भी किसी भी अच्छे आश्रम में आसानी से प्रवेश मिल जाएगा, लेकिन ये शिष्य बुरी आदत में फंसा हुआ है। इसे कहीं और प्रवेश नहीं मिल पाएगा, इसका भविष्य खराब हो जाएगा। जब तक ये बुरी आदतों को छोड़ नहीं देता, मुझे इसके अच्छी बातें पढ़ानी और सिखानी है। तभी मेरा कर्तव्य पूरा होगा। मैं इसे यहां से जाने के लिए नहीं कह सकता।
गुरु की ये बातें सुनकर चोरी करने वाले लड़के की आंखों से आंसु बहने लगे। उसने गुरु को वचन दिया कि अब वह चोरी नहीं करेगा। अन्य शिष्यों को भी अपनी गलती का अहसास हो गया, उन्होंने भी गुरु से क्षमा मांगी। इसके बाद उस शिष्य बुरी आदत छोड़ दी।