एक बार एक व्यक्ति अपने क्षेत्र के प्रसिद्ध संत के पास पहुंचा और बोला कि गुरुजी मेरे जीवन में अनेकों परेशानियां हैं, कृपया मुझे आप गीता रहस्य बताएं, ताकि मेरी………
चर्चित प्रसंग के अनुसार पुराने समय में एक व्यक्ति अपने क्षेत्र के प्रसिद्ध संत के पास गया और बोला कि गुरुजी मेरे जीवन में बहुत परेशानियां हैं, कृपया मुझे गीता रहस्य बताएं, ताकि मेरी समस्याएं दूर हो सके। संत ने उससे कहा कि ठीक है, आप यहां बैठें, मैं आपको गीता रहस्य समझाता हूं।
संत ने उस व्यक्ति को बैठाया और खुद अपना काम करने लगे। वे अपने आश्रम में फावड़ा चला रहे थे। काफी देर हो गई, संत अपने काम में लगे थे और वह व्यक्ति वहीं बैठा हुआ था। जब ज्यादा समय हो गया तो उस व्यक्ति का धैर्य खत्म होने लगा। वह सोच रहा था कि गुरुजी ने मुझे यहां बैठा दिया और खुद अपना काम कर रहे हैं। उसने संत से कहा कि गुरुदेव कृपा करें, मुझे गीता रहस्य समझा दें। मैंने आपके बारे में सुना था कि आप बहुत विद्वान हैं, लेकिन आपको तो समय की कद्र ही नहीं है।
संत ने कहा कि भाई मैं तो तब से ही आपको गीता रहस्य ही समझा रहा हूं। ये सुनकर व्यक्ति हैरान हो गया। उसने कहा कि मैं तो यहां बैठा हूं और आप फावड़ा चला हैं, आपने तो एक भी शब्द नहीं बोला।
संत ने जवाब दिया कि भाई गीता का मूल सूत्र यही है कि कर्म करो और फल की इच्छा मत करो। मैं तब से सिर्फ अपना काम ही कर रहा हूं। ये बात सुनकर उस व्यक्ति को समझ आ गया कि गीता का संदेश यही है कि अपना काम करने में कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए।