देवराज इंद्र की जगह एक बार राजा नहुष को स्वर्ग का राजा बना दिया गया, स्वर्ग का राजा बनते ही राजा नहुष को अहंकार आ गया और…..

बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं। महाभारत के आदि पर्व के मुताबिक, बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र हैं और अपने ज्ञान से देवताओं का मार्गदर्शन करते हैं। एक कथा है कि एक बार देवराज इंद्र की जगह राजा नहुष को स्वर्ग का राजा बनाया गया था। स्वर्ग का राजा बनते ही राजा नहुष अहंकारी हो गया और उसके मन में इंद्र की पत्नी शची के लिए पाप आ गया।

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इससे डरकर शची ने देवगुरु बृहस्पति के पास पहुंचीं। बृहस्पति ने शची को एक योजना बताई। बृहस्पति ने शची से कहा कि आप नहुष से कहना कि जब वह सप्त ऋषियों द्वारा उठाई गई पालकी में बैठकर आएगा, तब ही वह उसे अपना स्वामी मानेगी।

बृहस्पति की योजना के अनुसार शची ने ये बात नहुष से कह दी। नहुष ने ऐसा ही किया। सप्तऋषि जब पालकी उठाकर चल रहे थे, तभी अहंकारी राजा नहुष ने एक ऋषि को लात मार दी। क्रोधित होकर ऋषि ने उसे उसी समय स्वर्ग से गिरने का शाप दे दिया। शाप के बाद राजा नहुष ने स्वर्ग का राजपाठ खो दिया। इस प्रकार देवगुरु बृहस्पति की सलाह से शची की रक्षा हो गई।

सीख – गुरु की सीख से बड़ी-बड़ी मुश्किलें दूर हो सकती हैं।

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