परशुराम अष्ट चिरंजीवियों में से एक हैं, योद्धा और गुरु हैं, भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण इनके शिष्य थे, कर्ण ने परशुराम जी से ज्ञान हासिल करने के लिए झूठ का सहारा लिया……

परशुराम अष्ट चिरंजीवियों में से एक हैं, योद्धा और गुरु हैं। महाभारत के समय भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण इनके शिष्य थे। परशुराम जी से ज्ञान हासिल करने के लिए कर्ण ने झूठ बोला था कि मैं ब्राह्मण पुत्र हूं, क्योंकि उस समय परशुराम जी ब्राह्मणों को ही ज्ञान दे रहे थे। कर्ण परशुराम जी शिष्य बन गया और ज्ञान हासिल करने लगा। एक दिन जब परशुराम कर्ण की गोद में सिर रखकर सो रहे थे। उस समय कर्ण की जांघ पर एक बड़े कीड़े ने काट लिया। गुरु की नींद न टूटे ये सोचकर कर्ण दर्द सहते रहे, लेकिन उन्होंने परशुराम को नींद से नहीं जगाया।

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नींद से जागने पर जब परशुराम ने देखा कि कर्ण के पैर से खून बह रहा है तो वे समझ गए कि कर्ण ब्राह्मण पुत्र नहीं है। तब परशुराम ने क्रोधित होकर कर्ण को शाप दिया था कि मेरी सिखाई हुई विद्या की जब तुम्हें सबसे ज्यादा आवश्यकता होगी, उस समय तुम ये विद्या भूल जाओगे।

महाभारत युद्ध में जब कर्ण और अर्जुन का आमना-सामना हुआ, उस समय कर्ण अपने दिव्यास्त्रों को प्रकट करने की विधि भूल गए थे। इसके बाद अर्जुन ने श्रीकृष्ण के कहने पर कर्ण का वध कर दिया।

सीख – झूठ बोलकर हासिल की गई विद्या लंबे समय तक साथ नहीं देती है।

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