बहुत खूबसूरत है ये द्वीप, लेकिन फिर भी है वीरान, यहां इंसान तो क्या जानवर का भी रहने है मुश्किल, कारण है बड़ा अजीबोगरीब

आइलैंड और बीच का नाम सुन कर अधिकतर लोगों का मन खुशी से झूम उठता है। समुद्र के किनारे दूर-दूर तक फैले पानी के पास बैठना आखिर किसे पसंद नहीं होता। वहां की ऊंची-नीची लहरों को देखकर मन को अपार शांति मिलती है। वैसे भी कई लोगों को अक्सर शांत जगहों पर जाना ही पसंद करते हैं। ऐसा ही एक शांत और खूबसूरत आइलैंड के बारे में बात करेंगे जिसको सिर्फ दूर से ही देख सकते हैं। क्योंकि यहां जाना पर जाना मना है। आइए जानते हैं इस अनोखे आइलैंड के पीछे आखिर क्या वजह है।

डेली स्टार रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में एक ऐसा ही आइलैंड पाया जाता है। जहां पर कोई आता-जाता नहीं है। यह एक ऐसा आइलैंड है जो बिलकुल वीरान पड़ा हुआ है। स्कॉटलैंड में स्थित यह छोटा सा आइलैंड स्कॉटलैंड कोस्ट से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर है। इस जगह को देखकर आपका मन खुशी से झूम उठेगा। लेकिन, इस जगह पर जाने के लिए रोक लगाई गई है। दरअसल, साल 1940 दशक से पहले यहां पर जाने की इजाजत थी। लेकिन उसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि यहां पर जाने वाला व्यक्ति ज्यादा समय तक टिक हीं पाया। हालांकि, इसके पीछे भी एक रहस्यमयी द्वीप के बारे में कुछ और दिलचस्प कहानियां।

ग्रुइनार्ड आइलैंड पर निषेध क्यों?

स्कॉटलैंड से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित ग्रुइनार्ड आइलैंड है। इस द्वीप पर जाने से रोक लगाई गई है। ऐसा यहां पर दूसरे विश्व युद्ध के बाद हुआ था। क्योंकि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश नेता चर्चिल को ऐसी शंका थी कि जर्मनी एक बायोकेमिकल वेपन बना रहा है। इसलिए उन्होंने अपने वैज्ञानिकों को भी एक बायोकेमिकल वेपन बनाने का आदेश दिया। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने एक वेपन बनाया जिसका नाम एंथ्रॉक्स रखा गया। इसके बाद एंथ्रॉक्स की टेस्टिंग ग्रुइनार्ड आइलैंड पर की गई थी। जिस वजह से इस आइलैंड की मिट्टी में खतरनाक बीमारी के बैक्टीरिया आ गए। इसी वजह से यहां कोई भी इंसान या जानवर जाता था वह लौट के कभी वापस नहीं आ पाता था।

भेड़ें भी यहां से वापस ना आ पाईं

पहले इस द्वीप को भेड़ों को चराने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। उसके बाद दूसरे विश्व युद्ध के दौरान यहां पर एंथ्रॉक्स की टेस्टिंग हुई। जिसके बाद इस द्वीप की मिट्टी जहरीली हो गई थी और एक भी जानवर नहीं बच पाए थे। इतना ही नहीं, बल्कि यहां के जलीय जीवों का धीरे-धीरे अंत होने लगा। हालांकि, इसका इस्तेमाल जर्मनी पर नहीं हुआ था। इसके बाद साल 1981 से यहां की जहरीली मिट्टी को लेकर रिपोर्ट्स आने लगीं। ऐसे में जब यहां पर टेस्टिंग हुई तो पता चला कि आइलैंड कि मिट्टी अब भी साफ नहीं है। इस मिट्टी में अब भी बायोवेपन के हानिकारक केमिकल्स मौजूद हैं। इसे साफ करने के लिए सरकार की तरफ से भी बहुत कोशिश की गई। यहां के सारे समुद्री जीवों को मारने के बाद यहां की मिट्टी को साफ किया गया।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *