एक राजा के पास सुख-सुविधाओं की कोई कमी नही थी, राज्य में भी सभी खुश थे, राजा के पास विशाल सेना थी…..
पहला सुख, निरोगी काया यानी शरीर स्वस्थ रहेगा, तभी हम सभी सुख-सुविधाओं का आनंद ले सकते हैं। अगर कोई बीमारी हो गई तो सारे सुख किसी काम नहीं आते हैं। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए शारीरिक मेहनत करना बहुत जरूरी है। इस संबंध में लोक कथा प्रचलित है। जानिए ये कथा…
पुराने समय में एक राजा के पास सुख-सुविधाओं की सारी चीजें थीं। राज्य समृद्ध था। राजा के पास विशाल सेना थी। आसपास के राज्यों के शत्रु राजा पर आक्रमण करने की हिम्मत नहीं करते थे, क्योंकि राजा की सेना बहुत बड़ी थी। उसके पास कई बड़े योद्धा थे। राजा को कहीं आना-जाना नहीं पड़ता था। वह दिनभर आराम करता। काफी समय तक ऐसे ही चलता रहने से राजा एक दिन बीमार हो गया।
राज्य के बड़े-बड़े वैद्य राजा का इलाज करने लगे। लेकिन, राजा को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा था। धीरे-धीरे ये बात राज्य के शत्रुओं तक भी पहुंचने लगी। अब राजा को ये डर सताने लगा कि कहीं शत्रु राज्य पर आक्रमण न कर दे। तब राजा ने अपने राज्य में घोषणा करवा दी कि जो भी व्यक्ति राजा को ठीक करेगा, उसे अपार धन दिया जाएगा।
घोषणा के बाद अगले दिन कई वैद्य आए। एक बूढ़ा व्यक्ति भी आया। राजा ने बूढ़े व्यक्ति से पूछा कि आप क्या नुस्खा लेकर आए हैं। बूढ़े ने कहा कि राजन् आप किसी स्वस्थ व्यक्ति के वस्त्र पहनेंगे तो तुरंत ठीक हो जाएंगे। ये बात सुनकर दरबार के सभी लोग हंसने लगे। बूढ़े ने कहा कि राजन् आपने इतने नुस्खे अपनाए हैं, लेकिन लाभ नहीं मिला। मेरी ये बात भी मानकर देखें, आपको लाभ जरूर मिलेगा। राजा को बूढ़े की बात सही लगी। उसने पूर्ण स्वस्थ व्यक्ति को ढूंढकर उसके कपड़े लेकर आने का आदेश मंत्रियों को दे दिया। मंत्रियों ने पूरे राज्य में स्वस्थ व्यक्ति को ढूंढना शुरू कर दिया।
बहुत खोज के बाद एक व्यक्ति के बारे में पता चला। ये बात राजा को बताई गई तो राजा खुद उस व्यक्ति के पास पहुंचे। वह एक गरीब किसान था। दिन का समय था, वह खेत में मेहनत कर रहा था। राजा ने उसे बूढ़े व्यक्ति की बात बताई तो गरीब किसान ने तुरंत अपना फटा और गंदा कुर्ता उतारकर राजा को दे दिया। कुर्ते में से किसान के पसीने की बदबू आ रही थी। राजा ने थोड़ा विचार किया तो उसे समझ आ गया कि उस बूढ़े व्यक्ति ने ये उपाय क्यों बताया।
दरअसल, राजा कोई भी शारीरिक मेहनत नहीं कर रहा था। बूढ़े व्यक्ति के उपाय का संकेत यही था कि राजा को शारीरिक मेहनत करनी चाहिए, राजा को भी पसीना बहाना चाहिए। सुख-सुविधाओं से शरीर स्वस्थ नहीं रहता है, शरीर के लिए मेहनत भी जरूरी है। ये बात समझ में आते ही राजा ने उस बूढ़े को बुलवाया और सम्मानित किया। इसके बाद से राजा भी रोज शारीरिक मेहनत करने लगा और कुछ ही दिनों में वह पूर्ण स्वस्थ हो गया।