भारत की एक ऐसी अनोखी रहस्यमयी झील जहां जो भी गया वो कभी वापिस नहीं आया, वैज्ञानिक भी नही सुलझा पाए इसका रहस्य
भारत में कईं सारी नदियां अलग-अलग कारणों से प्रसिद्ध हैं। नदियों और झरनों के पास हमें विशेष शांती का अनुभव होता है। हम में से अधिकतर लोगों को झील और उसके आस-पास का वातावरण काफी आकर्षित करता हैं। लेकिन क्या आप भारत की एक ऐसी झील के बारे में जानते हैं जहां जाने से लोग डरते हैं।
उस झील मे एक बार जाने वाला व्यक्ति कभी वापिस नहीं आता। यह सब एक काल्पनिक कहानी की तरह लग रहा हैं पर असल में यह एक ऐसा विचित्र रहस्य है जिस पर से आज तक पर्दा नहीं उठा।
इस झील को ‘लेक ऑफ नो रिटर्न’ या नावांग यांग झील के नाम से जाना जाता है। यह झील अरुणाचल प्रदेश में भारत और म्यांमार की सीमा पर स्थित है। इस झील से जुड़ी कईं कहानियां अपने आप में रहस्य हैं। बताया जाता हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी विमान को उस झील पर समतल जमीन समझ कर पायलटों ने इमरजेंसी लैंडिंग करा दी थी। इसके बाद ना वह जहाज मिला और ना ही पायलट। जहाज और पायलट दोनो ही रहस्यमयी तरीके से गायब हो गए।
झील से जुड़ा एक और रहस्य आज भी रहस्य ही हैं। युद्ध समाप्त होने बाद जब जापान के सैनिक वापस लौटकर जा रहे थे, तो वे इस झील के पास रास्ता भूल गए थे। लेकिन हैरानी वाली बात तो यह है कि वह सैनिक उस झील के पास जाने बाद आज तक दौबारा नहीं मिले। वहीं कुछ लोगों का कहना हैं कि उन सैनिकों को मलेरिया हो गया था जिसके कारण उनकी मौत हो गई थी। हालांकि आज तक यह राज़, राज़ ही है।
स्थानीय लोगों की भी झील के रहस्य के बारे में अलग मान्यता हैं। वह लोग बताते हैं कि कईं वर्षों पहले गांव के एक व्यक्ति ने बड़ी सी मछली पकड़ी थी साथ ही उसने गांव के सभी लोगों को दावत दी, पर उसने गांव की एक दादी और पोती को दावत पर नहीं बुलाया। जिससे क्रोधित होकर झील की रखवाली करने वाले शख्स ने दादी और पोती को गांव से चले जाने के लिए कहा। जिसके बाद सारा गांव झील में समा गया।
वैज्ञानिकों द्वारा किए गए निरंतर प्रयास के बाद भी वह इस झील के रहस्य से पर्दा नहीं उठा पाए। यह राज़ आज भी राज़ है कि इस झील में जाने वाला आखिर कहां चला जाता हैं।