कभी देखा है ऐसा अनोखा आश्रम, यहां पत्नी पीड़ित पुरुषों को मिलता है आश्रय, कौए की होती है पूजा
आपने आज तक बहुत से आश्रमों के बारे में देखा और सुना होगा। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे अनोखे आश्रम के बारे में बता रहे है जो पत्नी पीड़ितों ने अन्य पत्नी पीड़ितों के लिए खोला है। यह अनोखा आश्रम महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में पत्नियों से पीड़ित कुछ पतियों ने खोला है। पत्नियों द्वारा प्रताड़ित हो चुके कई पति यहां पर रह रहे हैं। वहीं कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए भी यह आश्रम उनकी मदद करता है। इस आश्रम में छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश से भी लोग कानूनी सलाह लेने के लिए आते हैं।
औरंगाबाद से 12 किलोमीटर दूर शिरडी-मुंबई हाईवे पर बसे इस आश्रम मे सलाह लेने वालों की संख्या आए दिन बढती जा रही है। अब तक 500 लोग सलाह ले चुके हैं। हाईवे से देखें तो सामान्य घर की तरह दिखने वाले इस आश्रम के भीतर जाते ही अलग अनुभव मिलता है।
आश्रम मे इंट्री करते ही पहले कमरे मे कार्यालय बनाया गया है, जहां पत्नी पीडितों को कानूनी लड़ाई के बारे मे सलाह दी जाती है। कार्यालय मे थर्माकोल से बना बडा कौआ सबका ध्यान खींचता है। हर रोज सुबह-शाम अगरबत्ती लगाकर उसकी पूजा की जाती है। आश्रम में रहने वालों ने बताया कि, मादा कौआ अंडा देकर उड़ जाती है लेकिन नर कौआ चूजों का पालन पोषण करता है। ऐसी ही कुछ स्थिति पत्नी पीडित पति की रहने से कौए की प्रतिमा का पूजन किया जाता।
हर शनिवार, रविवार की सुबह 10 से शाम 6 बजे तक पत्नी-पीडितों की काउंसलिंग की जाती है। शुरूआत में केवल शहर और आसपास के लोग आते थे। अब छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश से तकरीबन आश्रम मे सलाह लेने के लिए आ रहे है। अनुभवी वकील के पास जिस तरह केस की डिटेल्स होती है उसी तरह आश्रम के संस्थापक भारत फुलारे गवाह और सबूतों की फाईल बनाते है।
भारत फुलारे ने अपनी 1200 स्क्वेयर फीट जगह पर आश्रम के लिए तीन रूम बनाए हैॆ। आश्रम मे रहने वाले पुरूष खिचड़ी, रोटी, सब्जी, दाल सबकुछ खुद ही बनाते है। सलाह लेने के आने वाले हर व्यक्ति को खिचड़ी बनाकर खिलाई जाती है। आश्रम मे रहने वाले सदस्य पैसे जमा कर यहां का खर्चा उठाते है। आश्रम मे रहने वाले लोगों मे कोई टेलर है तो कोई गैराज का मैकनिक है।
आश्रम के संस्थापक भारत फुलारे खुद पत्नी पीडित होने का दावा करते है। घरेलू हिंसा चार कानून के तहत उनकी पत्नी ने उनपर केस दाखिल किया है। केस के चलते कुछ महिनों तक भारत को शहर के बाहर रहना पड़ा। कोई भी रिश्तेदार उनसे पास जाने से डरता था। कानूनी सलाह भी मिलना मुश्किल हो गया। उसी समय उन्हें तुषार वखरे और दूसरे तीन लोग मिले। – सभी लोग पत्नी-पीडित रहने से एक दूसरे को सहारा मिला और कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मदद मिली।इसके बाद आश्रम बनाने का विचार आया और 19 नवंबर 2016 पुरूष अधिकार दिवस के अवसर पर आश्रम की शुरूआत कर डाली। इस आश्रम मे फिलहाल 7 लोग रहते है और अब तक पांच राज्यों से 500 लोग सलाह ले चुके हैं। सलाह लेने वालों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है।
पत्नी पीडित पतियों को मदद मिले इसीलिए आश्रम मे ए, बी और सी एेसी तीन कैटेगरीज बनाई गई है। जिस व्यक्ति का पत्नी, ससुरालवालों से उत्पीडऩ होता है और उन्हें डरकर वो सामने नहीं आता, ऐसा व्यक्ति सी कैटेगरी में आता है। जिस व्यक्ति को पत्नी से शिकायत है, लेकिन समाज उसे क्या कहेगा ये सोचकर चुपचाप बैठता है वो बी कैटेगरी में आता है। ए कैटेगरी में निडर को स्थान दिया गया है। जो बिना डरे किसी के भी सामने सत्य परिस्थिति रखता है और मदद की गुहार लगाता है। फिलहाल ए समूह के 46, बी समूह के 152 और सी समूह के 165 लोग आश्रम मे आकर विशेषज्ञों की सलाह लेते है।
यह हैं आश्रम के नियम
पत्नी की ओर से कम से कम 20 केस दाखिल होना जरूरी।
गुजारा भत्ता न चुकाने से जेल मे जाकर आया हुआ व्यक्ति यहां प्रवेश ले सकता है।
पत्नी द्वारा केस दाखिल करने के बाद जिसकी नौकरी गई ऐसा व्यक्ति यहां रह सकता है।
दूसरी शादी करने का विचार भी मन में न लाने वाले व्यक्ति को प्रवेश मिलेगा।
आश्रम मे रहने के बाद अपनी कौशल के अनुसार काम करना जरूरी।