एक ऐसा गांव जहां रहने वाला हर मर्द है खाना बनाने में माहिर, बचपन से ही सिखाई जाती है ये कला

भारत अपने अलग-अलग खाने के लिए दुनियाभर में मशहूर है। यहां के लोग खाने के ही नहीं बल्कि उसे बनाने के भी बहुत शौकीन होते हैं। विभिन्न संस्कृतियों वाले इस देश में व्यजनों की भी काफी वैरायटीज हैं, जिन्हें खाने वालों को ऐसा लगता है कि बनाने वाले ने न सिर्फ मसाले और इंग्रीडियेट्स बल्कि इसमें अपने इमोशनंस का भी तड़का लगा दिया है। भारत की धरती पर एक से बढ़कर एक खाना बनाने वाले मौजूद है। लेकिन इस देश में एक ऐसा गांव भी है, जहां लगभग हर घर में एक बावर्ची है। यहां बचपन से ही मर्दो को खाना बनाने का ट्रेनिंग दी जाती है।

बावर्चियों का यह गांव तमिलनाडु के रामनाथपुर जिले में स्थित है, जिसका नाम कलायूर है। इस गांव के खाने की तारीफ पूरे भारत में की जाती है। यहां की हर गली में मसालो की खुशबू आती रहती है। यहां के हर घर में एक बावर्ची रहता है। भारत के सबसे अच्छे खाना बनाने वाले 200 मर्द भी यहीं रहते हैं। खाना बनाने के इस हुनर को लोग एक प्रथा के रूप में भी मानते है।

आज से करीब 500 साल पहले यहां पर एक रेड्डीयार नाम की जाति के लोग रहते थे, जो व्यापारी हुआ करते थे. इन्हें ऊंची जाती का दर्जा दिया जाता था। इनके साथ ही यहां पर नीची जाति के लोग भी रहते थे, जिन्हें वनियार कहा जाता था। इस जाति के लोग खाना बनाने में काफी माहिर थे क्योंकि इनके हाथ का बनाया हुआ खाना बाकी लोगो से बहुत बेहतर था। इसलिए इन्हें खाना बनाने का काम सौंपा गया। उस जमाने में किसानी फायदेमंद व्यापार नहीं था। इस कारण वहां के लोग खाना बनाने में रुची रखने लगे। जिससे उन्हें नौकरी मिल जाए, तभी से यहां पर लोग खाना बनाने के शौकीन हो गए।

खाना बनाना एक कला है जो की हर किसी के बस की बात नहीं होती। यह जानकर आपको हैरानी होगी की इस गांव में बचपन से ही लोगों को खाना बनाना सिखाया जाता है। सब्जियां तोड़ने से लेकर उन्हें पकाने तक सभी चीजें सिखाई जाती है, जैसै ही वे इस कला को सीखना शुरू करते है उसी के साथ ही उन्हें तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाना सिखाया जाता है। लगभग 10 सालों तक यह ट्रेनिंग चलती है जिसके बाद वे खुद ही माहिर बावर्ची बन जाते हैं। आज के समय में यहां के बावर्ची करीब 6 महीने दक्षिण भारत की यात्रा करते हैं और अलग-अलग मेलों या समारोह में खाना बनाकर लोगों का दिल जीत लेते हैं।

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