एक ऐसा अनोखा गांव जो बसा है दो देशों के बीच,खाना और काम की तलाश में जाना पड़ता है एक देश से दूसरे देश..नहीं पड़ती किसी वीजा की जरूरत……

भारत को गांवों का देश कहा जाता है, उसकी वजह यहां की आधी से ज्यादा आबादी गांव में निवास करती है। रिपोर्ट के मुताबिक इतना ज्यादा शहरीकरण होने के बावजूद भी आज भारत में करीब 6 लाख हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं हमारे देश में एक ऐसा अनोखा गांव भी है जिसका आधा हिस्सा हमारे यहां तो वहीं आधा हिस्सा पड़ोसी मुल्क में है। आइए जानते हैं इस गांव से जुड़ी हैरान करने वाली बातें…

इस गांव का नाम है लोंगवा जो कि भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य नागालैंड में स्थित है। इस गांव की खासियत यह है कि इसका आधा हिस्सा भारत में जबकि आधा हिस्सा म्यांमार में स्थित है। कहा जाए तो लोंगवा गांव दोनों देशों की सीमा पर स्थित है। यहां की एक और खास बात यह है कि यहां रहने वाले लोगों को सीमा पार करने के लिए किसी वीजा की आवाश्यकता भी नहीं पड़ती है।

नागालैंड के मोन जिले में स्थित म्यांमार सीमा से सटा भारत का यह आखिरी गांव है। घने जंगलों के बीच मौजूद लोंगवा गांव में कोंयाक आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते हैं। इस समुदाय को काफी खतरनाक माना जाता है। पुराने जमाने में ये कबीले पर राज करने और जमीन पर कब्जे के लिए पड़ोसी गांवों से लड़ा करते थे। म्यांमार से सटे इलाके में करीब 27 कोन्याक आदिवासी गांव हैं। जिनमें से एक लोंगवा गांव भी है। यहां के कुछ स्थानीय लोग म्यांमार सेना में भी काम करते हैं। कई दशकों पहले तक लोंगवा में सिर का शिकार करने की बेहद डरावनी और प्राचीन परंपरा थी। इस परंपरा पर साल 1940 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था। जानकारी के मुताबिक यहां के लोग अफीम के शौकीन होते हैं। हालांकि वो यहां अफीम का उत्पादन नहीं करते बल्कि म्यांमार से गैर कानूनी तरीके से लाते हैं।

प्रकृति की गोद में बसे लोंगवा गांव में घूमने के लिए बेहद खूबसूरत जगह हैं। इन जगहों को देखकर लोग इनके दीवाने हो जाते हैं। यहां डोयांग नदी, शिलोई झील, नागालैंड साइंस सेंटर, हांगकांग मार्केट समेत कई पर्यटक स्थल मौजूद हैं। बात करें यहां पहुंचने वाले के साधन की तो यहां कार या फिर अन्य दो या चार पहिया के जरिए आसानी से पहुंचा जा सकता है।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *