एक महिला कुबड़े भिखारी से बहुत परेशान थी, एक दिन उसने सोचा कि आखिर पता नहीं ये क्या बड़बड़ाता रहता है, गुस्से में आकर उसने रोटी में जहर मिलाकर……
रोज एक महिला अपने परिवार वालों के लिए भोजन पकाती थी और वह एक रोटी निकाल कर खिड़की के पास रख देती थी। वह रोटी वहां से निकलने वाला एक कुबड़ा व्यक्ति ले जाता था, जिससे उसकी भूख मिट जाती थी। वह आदमी वहां से जाते वक्त हर रोज एक ही बात कहता था कि जो तुम बुरा करोगे वैसा ही तुम्हारा साथ होगा और जो तुम अच्छा करोगे वैसा ही तुम्हारे साथ अच्छा होगा।
रोज-रोज यह बात सुनकर महिला तंग आ गई। उसके मन में विचार आया कि यह कुबड़ा व्यक्ति जाने क्या क्या बोलता रहता है, जिसका कोई भी मतलब नहीं है। क्रोधित होकर महिलाला ने एक दिन सोचा कि मैं अब इस कुबड़े व्यक्ति से छुटकारा पाऊंगी।
उसने रोटी में जहर मिला दिया । लेकिन उसकी इतनी हिम्मत नहीं हुई कि वह उस रोटी को खिड़की के पास रख दे। उसने वह रोटी चूल्हे में जला दी और दूसरी रोटी खिड़की के पास रख दी। कुबड़ा व्यक्ति वहां से गुजरा और रोटी उठा ली। उसने फिर से वही बात दोहराई।
महिला का बेटा भी था जो गांव में नहीं बल्कि गांव से बाहर रहता था। वह उस की सलामती के लिए रोज भगवान से प्रार्थना करती थी। महिला को पिछले कुछ समय से बेटे की कोई खबर नहीं मिली। शाम के दिन महिला को अचानक अपना बेटा दरवाजे खड़ा मिला। उसके कपड़े फटे हुए थे। सही तरह से भोजन ना मिलने के कारण वह कमजोर हो गया था। उसमें खड़े होने की ताकत भी नहीं रही थी।
बेटे ने मां से कहा कि जब मैं जंगल से होकर निकल रहा था तो मुझे डाकुओं ने लूट लिया और फिर मैं रास्ता भटक गया। मुझे खाना नहीं मिला और मैं कमजोर हो गया। घर से थोड़ी दूरी पर मैं गिर पड़ा और एक कुबड़े व्यक्ति ने मुझे रोटी दी, जिसे खाकर मुझे थोड़ी राहत महसूस हुई।
जब महिला ने अपने बेटे की यह बात सुनी तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। महिला को उसको कुबड़े व्यक्ति की बात याद आ गई।
कहानी की शिक्षा
हमें शिक्षा मिलती है कि हर समय अच्छा करो। कभी भी अपने आप को अच्छा करने से नहीं रोकना चाहिए। चाहे हमारी प्रशंसा हो या ना हो। हमेशा ध्यान रखना चाहिए जब भी कोई अच्छा काम करेंगे तो उसका फल कभी ना कभी जरूर मिलेगा।