एक संत अपने दो शिष्यों के साथ आश्रम में रहते थे, संत बहुत ही बुद्धिमान थे, उनके पास दूर-दूर से लोग अपनी परेशानियां लेकर आते थे और वह उनका समाधान बता देते थे, इसी वजह से क्षेत्र में वे काफी प्रसिद्ध थे……
पुराने समय में एक संत एवं उनके 2 शिष्य आश्रम में रहते थे। वह संत काफी विद्वान थे। लोग अपनी परेशानियों का समाधान ढूंढने के लिए दूर-दूर से उनके पास आते थे। लोगों को उनका समाधान मिल जाता था। इसी कारण वे आसपास के इलाकों में काफी लोकप्रिय थे। कुछ समय बाद शिष्यों की शिक्षा पूरी हो गई तो। संत ने उनको 1-1 डिब्बे में गेहूं भरकर दे दिए और कहा कि मैं लंबे समय के लिए धार्मिक यात्रा पर जा रहा हूं। जब मैं वापस आऊंगा तो मुझे यह डिब्बा लौटा देना। तुम्हें ध्यान रखना है कि गेहूं खराब नहीं होने चाहिए।
एक शिष्य ने गेहूं से भरा हुआ डब्बा मंदिर में रख दिया और रोज उसकी पूजा करने लगा। जबकि दूसरे शिष्य ने गेहूं के डिब्बे में से गेहूं निकाल कर खेत में उगाने के लिए बो दिए। कुछ ही समय बाद गेहूं की फसल तैयार हो गई और उस दूसरे शिष्य के पास कई गुना गेहूं हो गए।
संत लंबे समय बाद आश्रम में वापस आए और दोनों शिष्यों से गेहूं के डिब्बे वापस मांगे। पहले शिष्य ने बताया कि गुरु जी मैंने आप के डिब्बे की हर रोज पूजा की और उसको संभाल कर रखा। जब संत ने खोलकर देखा तो पता चला कि डिब्बे के अंदर रखे गेहूं पूरी तरह से सड़ चुके थे और उसमें कीड़े लग गए थे। शिष्य को काफी शर्मिंदगी हुई।
वहीं दूसरे शिष्य ने गुरुजी को थैला दिया और कहा कि मैंने आपकी अमानत लौटा दी है। गेहूं से भरा हुआ थैला देखकर गुरुजी को काफी प्रसन्नता हुई और उन्होंने कहा कि तुम मेरी परीक्षा में पास हुए। तुमने पूरा ज्ञान धारण किया और उसको अपने जीवन में उतार लिया। तुमने मेरे द्वारा दिए गए ज्ञान का बिल्कुल सही उपयोग किया। यही कारण रहा कि तुमने सही तरह से गेहूं संभाले।
संत ने अपने दोनों से शिष्यों से कहा कि जब तक हम अपने ज्ञान को डिब्बे में गेहूं की तरह बंद रखेंगे तब तक उसका लाभ हासिल नहीं कर पाएंगे। ज्ञान को ग्रहण करने के बाद उसे अपने जीवन में उतारना चाहिए।