एक राज्य में अकाल पड़ गया, जिसकी वजह से राजा को बहुत नुकसान हुआ, उसे प्रजा से बिल्कुल भी लगान नहीं मिल पाया, राजा को अब यह चिंता सताने लगी कि व्यय को कैसे कम किया जाए, ताकि राज्य का कामकाज…….
एक राज्य का राजा अपने महामंत्री के ज्ञान और योग्यता पर पूरा विश्वास करता था। इतना ही नहीं राजा उस महामंत्री का पूरा सम्मान भी करता था। वह महामंत्री प्रजा में भी काफी लोकप्रिय था। 1 दिन उस महामंत्री ने राजा और दूसरे लोग जो मेरा सम्मान करते हैं , उसकी वजह जानना चाही। अपना उत्तर खोजने के लिए महामंत्री को एक उपाय सूझा।
जब अगले दिन महामंत्री दरबार से लौट रहा था तो उसने राजकोष से 1 स्वर्ण मुद्रा चुरा ली। महामंत्री को कोषागार के रक्षक ने देख लिया। लेकिन कुछ नहीं कहा।
अगले दिन उस महामंत्री ने दो स्वर्ण मुद्राएं ली। इस बार फिर कोषागार के रक्षक ने कुछ नहीं कहा। उसने सोचा कि महामंत्री को अवश्य ही कोई काम होगा। इसके बारे में वह बाद में बता देंगे।
अगली बार महामंत्री ने मुट्ठी भर के स्वर्ण मुद्राएं चुरा ली। लेकिन इस बार कोषागार के अधिकारी ने उसे पकड़ लिया और राजा के सामने पेश किया। राजा को पता चला कि महामंत्री ने तीन बार राजकोष से स्वर्ण मुद्राएं चुराई हैं। इस वजह से महामंत्री को 3 महीने की सजा मिलती है।
उस महामंत्री ने राजा से कहा कि महाराज मैं चोर नहीं हूं। मैं बस यह जानना चाहता था कि आप और प्रजा मेरा इतना सम्मान क्यों करती है। इसकी असली वजह क्या है। मुझे मेरे सवाल का उत्तर मिल गया है।
सभी लोग मेरी योग्यता, ज्ञान और अच्छे व्यवहार की वजह से ही मेरा सम्मान करते हैं। जब मैंने अच्छा व्यवहार करना छोड़ दिया तो सब मुझे गलत समझने लगे और दंड भी सुना दिया।