अपनी जिंदगी से परेशानियों से परेशान होकर एक युवक आत्महत्या करने के लिए जा रहा था, तभी उसे वहां एक संत मिले, उन्होंने उसे समझाया कि आखिर……
एक व्यक्ति अपने जीवन में बहुत संघर्ष कर चुका था। उसको लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई काम नहीं मिल रहा था। इस कारण वह निराश हो गया और जंगल में जाकर आत्महत्या करने की कोशिश कर रहा था। उसे वहां पर एक संत मिले। संत ने उस युवक से सवाल किया जंगल में अकेले क्या कर रहे हो।
युवक ने कहा कि मेरे जीवन में समस्याएं हैं। संत ने कहा कि तुमको कोई काम जरूर मिल जाएगा। तुम्हें इस तरह से निराश नहीं होना चाहिए। उस युवक ने कहा कि गुरुवर मैं हार मान चुका हूं। अब मैं कुछ नहीं कर सकता। संत ने कहा मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं। शायद तुम्हारी निराशा दूर हो जाए।
एक बच्चे ने बांस और कैक्टस का पौधा लगाया। वह प्रतिदिन दोनों पौधों की देखभाल करता था। पौधा लगाए हुए 1 साल बीत गया। कैक्टस का पौधा पनप गया। लेकिन बांस का पौधा जस का तस था। लेकिन वह बच्चा निराश नहीं हुआ। उसने दोनों पौधों की देखभाल की।
कुछ ही महीनों बाद बांस का पौधा भी पनपने लगा और वह कैक्टस के पौधे से काफी बड़ा हो गया, क्योंकि बांस का पौधा शुरुआत से ही अपनी जड़ें मजबूत कर रहा था। इस कारण उसको पनपने में काफी समय लगा।
संत ने व्यक्ति से कहा कि हमारे जीवन में कभी भी संघर्ष आए तो सबसे पहले जड़ों को मजबूत करना चाहिए। बिल्कुल भी निराश नहीं होना चाहिए। हमारी जड़ें मजबूत होगी तो हम तेजी से लक्ष्य को पा सकते हैं। युवक को संत की बातें समझ आ गई और उसने आत्महत्या करने का विचार मन से निकाल दिया।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि जो लोग हार मान लेते हैं, वह जीवन में कभी भी सफल नहीं हो पाते हैं। लेकिन हमें जीवन में कभी भी निराश नहीं होना चाहिए। परेशानियों का डटकर सामना करना चाहिए। कोई भी परेशान बड़ी नहीं होती है।