वो भारतीय खिलाड़ी जो अपने टैलेंट के दम पर नही बल्कि पैसों के दम पर बना था भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान

दुनिया किसी भी इंसान को उसके द्वारा किए गए कामों के लिए याद रखती है. चाहे इंसान ने अच्छे काम किए हो या फिर बुरे काम. एक ऐसे ही भारतीय क्रिकेटर के बारे में हम आपको बताने वाले हैं, जिसने पैसों के दम पर भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी ले ली थी. वह क्रिकेटर है विजय आनंद गजपति राजू, जो महाराजकुमार ऑफ विजयनगरम या विजी के नाम से मशहूर है.

1936 में भारतीय टीम ने इंग्लैंड का दौरा किया था. इस दौरान लाला अमरनाथ और विजी के बीच काफी झगड़ा हुआ था और विजी ने लाला जी को टूर से वापस भेज दिया था. इस घटना के बाद विजी की जो छवि बन गई, वह कभी नहीं सुधर पाई. विजी को क्रिकेट में शुरुआत से ही बहुत इंटरेस्ट रहा था. 1926 में विजी ने अपनी क्रिकेट टीम बनाई जिसके लिए उन्हें ग्राउंड की जरूरत थी तो उन्होंने अपने पैलेस को ही ग्राउंड बना लिया.

उनकी इस टीम में विदेशी खिलाड़ी भी शामिल थे. विजी ने अपने पैसों का इस्तेमाल कर विदेशी दिग्गजों को अपने पैलेस में क्रिकेट खेलने बुलाया. 1932 में विजी ने इंग्लैंड दौरे पर जा रही भारतीय टीम को स्पॉन्सर करने की घोषणा कर दी, जिसके साथ उन्हें वाइस कैप्टंसी मिल गई. हालांकि स्वास्थ्य कारणों के चलते वह इस दौरे पर नहीं जा पाए थे.

लेकिन 1936 में वह भारतीय टीम के कप्तान के रूप में इंग्लैंड दौरे पर गए और उनके लिए यह दौरा उनके करियर की सबसे बड़ी भूल साबित हुई. इस दौरे पर वह केवल 600 रन ही बना पाए थे. इस दौरे पर उनका लाला जी से झगड़ा हुआ था. ऐसा कहा जाता है कि विजी ने विपक्षी टीम के क्रिकेटरों को घूस दी थी, ताकि वह खराब गेंद फेंके. भारत इस दौरे पर बुरी तरह से हार गया था और इस तरह उनके करियर का अंत भी हो गया.

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