बहू ने लव अफेयर के लिए रास्ते में रोड़ा बन रहे ससुर का मिटा दिया था नामोनिशान, अब कोर्ट ने सुनाई उम्रभर की जेल
झुंझुनूं की डीजे कोर्ट ने हत्या के आठ साल पुराने केस में फैसला सुनाते हुए मृतक की पुत्रवधू समेत चार अभियुक्तों को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है. बहू ने लव अफेयर में आड़े आ रहे ससुर को अपने साथियों के हाथों मौत के घाट उतवा दिया था.
झुंझुनूं में आठ साल पहले एक बुजुर्ग की हुई हत्या के मामले बड़ा फैसला सुनाते हुए कोर्ट उसकी पुत्रवधु सहित 4 अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इस बुजुर्ग की उसकी बहू ने ही प्रेम प्रसंग में आड़े आने पर हत्या करवाई थी. झुंझुनूं कोर्ट ने इस मामले में चारों अभियुक्तों को उम्र कैद की सजा सुनाने के साथ ही उन 20-20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. सजा पाने वाले अभियुक्तों में बुजुर्ग की बहू सोनू कुमारी समेत उसके साथी सुनील कुमार, दीपेंद्र कुमार और प्रदीप कुमार शामिल हैं. केस की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 40 गवाह और 191 दस्तावेज पेश किए गए थे.
लोक अभियोजक भारत भूषण शर्मा ने बताया कि 15 जुलाई 2016 को कुल्हरियों की ढाणी के सोहनलाल जाट ने बिसाऊ थाने में इस संबंध में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. उसने बताया कि उसका चचेरा भाई सुभाषचंद्र डाकघर में अल्पबचत अभिकर्ता था. वह रोजना सुबह 11 बजे बिसाऊ जाता था. दिन में घर-घर जाकर आरडी के पैसे एकत्रित कर रात्रि को साढ़े दस बजे घर आता था. 14 जुलाई को सुभाष बस से उतरकर घर आ रहा था. उसी समय रास्ते में नीली बत्ती लगी एक गाड़ी खड़ी थी.
उसमें से उतरे दो व्यक्तियों ने सुभाष को पकड़ लिया और जबरन गाड़ी में डाल लिया. उसके बाद सुभाष से मारपीट की और गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी. पुलिस ने केस की जांच शुरू की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ. जांच में सामने आया कि बहू सोनू कुमारी ने ही प्रेम प्रसंग में बाधा बन रहे ससुर सुभाषचन्द्र की अपने साथियों से हत्या करवा दी थी. इस पर पुलिस ने मृतक की पुत्रवधू सोनू और सुनील समेत दीपेंद्र को उसी समय गिरफ्तार कर लिया था. उनके साथ एक बाल अपचारी को निरुद्ध किया गया. वारिसपुरा निवासी प्रदीप को बाद में गिरफ्तार किया गया था.
पुलिस ने केस की जांच पूरी कर आरोपी सोनू कुमारी, सुनील कुमार, दीपेंद्र कुमार उर्फ मिकू और प्रदीप कुमार के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश कर दिया. राज्य सरकार की तरफ से पैरवी करते हुए लोक अभियोजक भारत भूषण शर्मा और पीड़ित पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट सुभाष पूनिया ने कोर्ट में 40 गवाहों के बयान कराए और 191 दस्तावेज पेश किए. सुनवाई के दौरान पत्रावली पर आए साक्ष्यों का विश्लेषण करने के बाद जिला एवं सेशन न्यायाधीश दीपा गुर्जर ने चारों आरोपियों को दोषी माना और उनको उम्रकैद तथा जुर्माने की सजा सुनाई.