अर्जुन सप्ताह में एक रात भी घर नहीं जाता था, गुपचुप जी रहा था अपनी जिंदगी, जब घरवालों को पता चली सच्चाई तो पैरों तले खिसक गई जमीन
दिल्ली पुलिस ने जाल बिछाकर इस युवक को अरेस्ट किया. अर्जुन और उसके साथियों को पकड़ने से पहले पूरी प्लानिंग की गई थी. वो एक बड़ी साजिश रचने की फिराक में था. हालांकि इससे पहले ही पुलिस ने एक दो नहीं एक एक कर कुल 18 लोगों को अरेस्ट कर लिया.
बड़ा आदमी बनने का सपना कौन नहीं देखता. हर किसी की चाहत होती है कि वो खूब पैसा कमाए और उसका नाम हो और शौहरत भी हो. कुछ ऐसा ही सपना 25 साल के अर्जुन ने भी देखा. वो भी दिल्ली में कुछ बनने की ख्वाहिश लेकर आया था. इसी कड़ी में वो एक 5 स्टार होटल में कमरे साफ भी करने लगा लेकिन ये रकम उसके खर्चों को उठाने के लिए पूरी नहीं पड़ रही थी. ऐसे में अर्जुन एक सीक्रेट जिंदगी जीने लगा. दिन में वो होटल में काम करता था और रात के वक्त एक नेटवर्क का हिस्सा बनकर तेजी से नोट कमाने लगा. सप्ताह में एक रात उसे इस नेटवर्क के लिए काम करना होता था. उस रात वो घर नहीं जाता था. यह नेटवर्क अवैध हथियारों की तस्करी का था. अर्जुन जब दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ा तब उसकी इस सीक्रेट लाइव का लोगों को पता चला. उसने इसके बारे में अपने दोस्तों, रिश्तेदारों में से किसी को भी नहीं बताया हुआ था.
कुछ ऐसी ही स्थिति 23 साल के अजय की भी थी. वो एक हेयर-कटिंग सैलून में काम करने के साथ-साथ अवैध हथियार नेटवर्क सप्लाई के सीक्रेट ग्रुप का हिस्सा बन गया. दोनों को मिलाकर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कुल 18 लोगों को अरेस्ट किया है. अन्य आरोपियों में कुछ मजदूर, एक पेंटर, सेल्समैन, सिक्योरिटी गार्ड, एक किसान और एक बीए छात्र भी शामिल है. जल्द अमीर बनने के चक्कर में ये सभी अवैध काम करने लगे. क्राइम ब्रांच के विशेष सीपी देवेश श्रीवास्तव ने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों में से कई के पिछले आपराधिक रिकॉर्ड हैं, जो हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती, लूट, जबरन वसूली, सेंधमारी, दंगा, चोरी और शस्त्र अधिनियम के उल्लंघन सहित कई अपराधों में शामिल थे. पुलिस ने अवैध हथियारों और गोला-बारूद का एक बड़ा जखीरा बरामद किया, जिसमें चार सेमी-ऑटोमैटिक पिस्तौल, आठ देशी पिस्तौल, एक राइफल, 33 जिंदा कारतूस और एक चोरी की कार शामिल है.
देवेश श्रीवास्तव ने कहा, “गिरफ्तारी दिल्ली और एनसीआर में अवैध हथियारों की आपूर्ति सीरीज में एक अहम हर्डल है.” अतिरिक्त सीपी संजय भाटिया और डीसीपी (क्राइम) बिशम सिंह के नेतृत्व में ईगल कोडनेम वाले इस ऑपरेशन ने दिल्ली-एनसीआर में सक्रिय बंदूक तस्करों को निशाना बनाया. पहले अरशद और मोहम्मद सुलेमान को गुप्त सूचना के आधार पर अरेस्ट किया गया. दोनों नोएडा में डकैती की योजना बना रहे थे और उनके पास अवैध हथियार थे. एसीपी अरविंद और इंस्पेक्टर मंगेश त्यागी और रॉबिन त्यागी की एक पुलिस टीम ने पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर में पेपर मार्केट में छापेमारी की. टीम ने अरशद और सुलेमान की कार को रोका. कार की तलाशी में एक पिस्तौल, कारतूस और चाकू बरामद हुए. पूछताछ के दौरान, पुलिस को ऐसी जानकारी मिली जिससे उन्हें एक बड़े नेटवर्क की पहचान करने में मदद मिली.