तांत्रिक भैरू बाबा का हुआ परदा-फाश,भक्त बनकर पहुँच गये पुलिस, फिर….
आईजी के अनुसार, भीमदान ने 2007 में अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए अपराध की दुनिया में कदम रखा. फरारी के दौरान वह महाराष्ट्र के अमरावती क्षेत्र में फर्नीचर का काम करने लगा. वहीं उसने एक व्यक्ति से हथियार बनाने की कला सीखी. इसके बाद वह 12 बोर, 315 बोर और 32 बोर के हथियार सप्लाई करने लगा.
जैसलमेर के रामदेवरा से 2019 में हथियार के नाम पर बड़ी लूट को अंजाम देने वाले आरोपी भीमदान को जोधपुर आईजी रेंज की पुलिस ने शुक्रवार देर शाम को गिरफ्तार कर लिया है. लेकिन गिरफ्तारी के बाद पुलिस महानिरीक्षक विकास कुमार ने कुख्यात आरोपी भीमदान के बारे में जो कहानी बताई है वह बिल्कुल चौंकाने वाली है. आईजी ने बताया कि पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए भीमदान अपराध की दुनिया में प्रवेश कर जाता है और शराफत में जीवन गुजारने वाला भीमदान अपने जीवन के 35 वर्ष आते-आते पुलिस का कुख्यात ईनामी आरोपी बन जाता है. पिता की मौत का प्रतिशोध उसे हथियार तस्कर से लेकर तंत्र-मंत्र और जादू टोना की दुनिया में ले जाता है.इस तरह से बीकानेर के देशनोक का रहने वाला भीमदान भैरवनाथ बन जाता है.
दरअसल जोधपुर रेंज की आईजी साइक्लोनर टीम ने लूट और डकैती जैसे गंभीर अपराधों के आरोपी को बीकानेर के देशनोक से गिरफ्तार किया है. आरोपी वहां तांत्रिक बनकर रह रहा था, मौके पर गिरफ्तार करने के लिए पुलिस भक्त के वेश में पहुंची थी. यह आरोपी तीन जिलों में वांछित था और उस पर इनाम भी घोषित था. बीते पांच वर्षों से वह फरार रहकर लगातार पुलिस को चकमा दे रहा था.
जोधपुर रेंज के आईजी विकास कुमार ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी भीमदान उर्फ भीवदान (35), पुत्र मोहनदान, जाति चारण, बीकानेर के देशनोक का निवासी है. उसने जोधपुर ग्रामीण के खारियां खंगार क्षेत्र में तांत्रिक के रूप में झाड़-फूंक का ढोंग कर लोगों को बहलाने का काम किया. आरोपी के खिलाफ हथियारों की तस्करी, लूट, डकैती और हत्या के प्रयास जैसे संगीन मामले दर्ज हैं. उसने 2019 में रामदेवरा क्षेत्र में एक बड़ी लूट को अंजाम दिया था, जिसके बाद वह फरार हो गया. उस पर 20,000 रुपये का इनाम भी घोषित था.
आईजी के अनुसार, भीमदान ने 2007 में अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए अपराध की दुनिया में कदम रखा. फरारी के दौरान वह महाराष्ट्र के अमरावती क्षेत्र में फर्नीचर का काम करने लगा. वहीं उसने एक व्यक्ति से हथियार बनाने की कला सीखी. इसके बाद वह 12 बोर, 315 बोर और 32 बोर के हथियार सप्लाई करने लगा.
भीमदान ने कई बार अपना हुलिया और पहचान बदली. अपराधों के दौरान वह दो-तीन बार पुलिस की गिरफ्त में भी आया, लेकिन हर बार फरार हो गया. महाराष्ट्र के नासिक के पर्वतीय क्षेत्रों में जाकर उसने साधु का वेश धारण कर तंत्र-मंत्र और टोने-टोटकों का खेल शुरू कर दिया. इस दौरान उसने अपना नाम भी बदलकर भैरू गिरी बाबा रख लिया. महाराष्ट्र से लौटने के बाद भीमदान ने मारवाड़ क्षेत्र में तांत्रिक का चोला पहनकर अपना अड्डा जमा लिया. वह झाड़-फूंक और प्रेतबाधा जैसी बातों के जरिए लोगों को ठगने लगा. अंधविश्वास का फायदा उठाकर उसने स्थानीय लोगों के बीच अपनी पैठ बना ली.
आईजी ने बताया कि साइक्लोनर टीम ने इस दौरान तांत्रिकों और बाबाओं के ठिकानों की पड़ताल शुरू की. पुख्ता जानकारी मिलने पर पुलिस ने खारियां खंगार गांव में भैरू बाबा के रूप में छिपे आरोपी को ढूंढ निकाला. भक्त बनकर पहुंची टीम ने उसे मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया.