सीख; स्वामी विवेकानंद से अक्सर लोग कहते थे कि देश में अंग्रेज का शासन होने की वजह व्यापार सही से नहीं होता है, हालात एकदम बुरे हो गए हैं, स्वामी जी चाहते थे कि भारत फिर से पहले जैसा व्यापार……

सीख; स्वामी विवेकानंद से अक्सर लोग कहते थे कि देश में अंग्रेज का शासन होने की वजह व्यापार सही से नहीं होता है, हालात एकदम बुरे हो गए हैं, स्वामी जी चाहते थे कि भारत फिर से पहले जैसा व्यापार……

स्वामी विवेकानंद से कई लोग कहते थे कि देश में अंग्रेज का शासन होने की वजह व्यापार ठीक से नहीं चलता है। बुरे हाल हो गए हैं। स्वामी जी चाहते थे कि भारत फिर से पहले जैसा व्यापार करके धन कमाए। एक बार स्वामी विवेकानंद न्यूयॉर्क में थे और उनके एक साथी भारत में कलकत्ता…

सीख; हनुमान जी को उस समय हैरानी हुई जब लंकिनी उनके सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गई। लंकिनी ने कहा, ‘प्रबिसि नगर कीजे सब काजा, हृदय राखी कौशलपुर राजा। यानी आप अपने हृदय में……

सीख; हनुमान जी को उस समय हैरानी हुई जब लंकिनी उनके सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गई। लंकिनी ने कहा, ‘प्रबिसि नगर कीजे सब काजा, हृदय राखी कौशलपुर राजा। यानी आप अपने हृदय में……

रामायण में हनुमान जी को लंका में प्रवेश करते समय कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था। सबसे पहले हनुमान जी के लिए लंका की सुरक्षा अधिकारी लंकिनी बाधा बनी थी। लंकिनी ने हनुमान जी को अपना परिचय देते समय कहा, ‘मैं लंका की सुरक्षा अधिकारी हूं, चोर पकड़ना मेरा काम है। तुम चोरी छिपे…

सीख; नैमिष वन में हजारों साधु-संत रह रहे थे। सभी साधु-संत सूत जी को ऊंचे आसन पर बैठाकर उनसे कथा सुनते थे, एक दिन कुछ साधुओं ने सूत जी से पूछा, ‘हमारी जीवन शैली में…….

सीख; नैमिष वन में हजारों साधु-संत रह रहे थे। सभी साधु-संत सूत जी को ऊंचे आसन पर बैठाकर उनसे कथा सुनते थे, एक दिन कुछ साधुओं ने सूत जी से पूछा, ‘हमारी जीवन शैली में…….

नैमिष वन में हजारों साधु-संत रह रहे थे। सभी साधु-संत सूत जी को ऊंचे आसन पर बैठाकर उनसे कथा सुनते थे। सूत जी की विशेषता थी कि वे हर प्रसंग को जीवन से जोड़कर बहुत ही विस्तार से समझाते थे। सुनने वाले सभी लोगों तक प्रसंग का संदेश पहुंच जाता था। कभी-कभी कुछ लोग उनसे…

सीख; श्रीकृष्ण ने कहा, ‘राजन तुम अभी इतना बड़ा युद्ध जीते हो, राज बन गए हो। अब क्या परेशानी है?’ युधिष्ठिर ने जवाब दिया, ‘मुझे ये राजगादी अपने ही लोगों के शव पर चढ़कर मिली है, मैंने……

सीख; श्रीकृष्ण ने कहा, ‘राजन तुम अभी इतना बड़ा युद्ध जीते हो, राज बन गए हो। अब क्या परेशानी है?’ युधिष्ठिर ने जवाब दिया, ‘मुझे ये राजगादी अपने ही लोगों के शव पर चढ़कर मिली है, मैंने……

महाभारत का युद्ध खत्म हो चुका था। पांडवों की जीत हो गई थी और युधिष्ठिर राजा बनने वाले थे। इसके बाद श्रीकृष्ण ने सोचा कि यहां अब मेरी भूमिका खत्म हो गई है। मुझे द्वारिका लौट जाना चाहिए। श्रीकृष्ण ने जाने की बात पांडवों से कही तो कुंती ने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की,…

सीख; परशुराम जी ने जैसे ही देखा कि धनुष टूटा हुआ है तो वे क्रोधित हो गए, सभी राजा अपना, अपने पिता का और वंश का नाम बोलकर परशुराम जी को प्रणाम करके पीछे हट गए, परशुराम जी ने गुस्से में…….

सीख; परशुराम जी ने जैसे ही देखा कि धनुष टूटा हुआ है तो वे क्रोधित हो गए, सभी राजा अपना, अपने पिता का और वंश का नाम बोलकर परशुराम जी को प्रणाम करके पीछे हट गए, परशुराम जी ने गुस्से में…….

रामायण में सीता जी के स्वयंवर से जुड़ा किस्सा है। श्रीराम ने धनुष उठाकर प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश की तो धनुष टूट गया था। इसके बाद स्वयंवर के सभागार में परशुराम जी का आगमन हुआ तो वहां मौजूद सभी राजा डर गए थे। परशुराम जी ने जैसे ही देखा कि धनुष टूटा हुआ है तो…

सीख; रावण लगातार खुद को बलवान बताने की और अंगद की खिल्ली उड़ाने की कोशिश कर रहा था, अंगद ने सोचा कि मैं दूत बनकर आया हूं तो मुझे युद्ध नहीं करना है, मैं ऐसा क्या करूं कि बिना प्रहार किए……..

सीख; रावण लगातार खुद को बलवान बताने की और अंगद की खिल्ली उड़ाने की कोशिश कर रहा था, अंगद ने सोचा कि मैं दूत बनकर आया हूं तो मुझे युद्ध नहीं करना है, मैं ऐसा क्या करूं कि बिना प्रहार किए……..

रामायण में युद्ध से ठीक पहले की घटना है। रावण के दरबार में बड़े-बड़े देवता आंखें नीचे करके खड़े हुए थे। अंगद और रावण की बात चल रही थी। अंगद रावण के प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे। जहां रावण ऊंचा बोलता, वहां अंगद भी ऊंचा बोल रहे थे। रावण लगातार खुद को बलवान बताने…

सीख; यज्ञ सभा में सभी बैठे हुए थे, उस समय दक्ष प्रजापति ने यज्ञ सभा में प्रवेश किया, उनका गरिमामय व्यक्तित्व था, दक्ष के सम्मान में सभी लोग अपनी-अपनी जगह पर खड़े हो……

सीख; यज्ञ सभा में सभी बैठे हुए थे, उस समय दक्ष प्रजापति ने यज्ञ सभा में प्रवेश किया, उनका गरिमामय व्यक्तित्व था, दक्ष के सम्मान में सभी लोग अपनी-अपनी जगह पर खड़े हो……

प्रजापति दक्ष और शिव जी से जुड़ी घटना है। दक्ष देवताओं के बड़े नेता थे। सभी उनका मान-सम्मान करते थे। एक दिन एक यज्ञ में बड़े-बड़े ऋषि-मुनि और देवता शामिल हुए। यज्ञ सभा में सभी बैठे हुए थे। उस समय दक्ष प्रजापति ने यज्ञ सभा में प्रवेश किया। उनका गरिमामय व्यक्तित्व था। दक्ष के सम्मान…

सीख; ब्रह्मा जी समझ गए थे कि इन पांचों से तो संसार नहीं चलने वाला है, इस वजह से ब्रह्मा जी दुखी हो गए और सोचने लगे कि दुनिया की रचना कैसे करूंगा, उनके दुख से क्रोध प्रकट हो गया, क्रोध की वजह से…….

सीख; ब्रह्मा जी समझ गए थे कि इन पांचों से तो संसार नहीं चलने वाला है, इस वजह से ब्रह्मा जी दुखी हो गए और सोचने लगे कि दुनिया की रचना कैसे करूंगा, उनके दुख से क्रोध प्रकट हो गया, क्रोध की वजह से…….

ब्रह्मा जी दुनिया बनाने की तैयारी कर रहे थे। इस काम के लिए उन्होंने पांच मानस पुत्रों को उत्पन्न किया। उनके नाम थे सनक, सनंदन, सनातन, रिभू और सनत कुमार। ये पांचों योगी थे और सृष्टि से विरक्त थे। ब्रह्मा जी समझ गए थे कि इन पांचों से तो संसार नहीं चलने वाला है। इस…

सीख; एक दिन रामानुजाचार्य जी अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे, रास्ते में एक युवा महिला आ रही थी, शिष्यों ने देखा कि गुरु जी इधर से जा रहे हैं और सामने से महिला आ रही है, रास्ता संकरा था, शिष्यों ने……

सीख; एक दिन रामानुजाचार्य जी अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे, रास्ते में एक युवा महिला आ रही थी, शिष्यों ने देखा कि गुरु जी इधर से जा रहे हैं और सामने से महिला आ रही है, रास्ता संकरा था, शिष्यों ने……

रामानुजाचार्य जी अक्सर ये बात समझाते थे कि परमात्मा, आत्मा और प्रकृति, ये तीनों एक ही हैं। रामानुजाचार्य जी ये बात इतने अच्छे ढंग से समझाते थे कि उनके अनुयायियों के साथ ही अन्य लोग भी उनसे प्रभावित हो जाते थे। रामानुजाचार्य जी की परंपरा बहुत ही दिव्य थी। रामानंद, कबीर दास, रैदास, सूरदास ये…

सीख; शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच शास्त्रार्थ चलते हुए 16 दिन बीत चुके थे और ये तय नहीं हो पा रहा था कि विजेता कौन है? शास्त्रार्थ के अंतिम चरण में भारती देवी को किसी जरूरी…….

सीख; शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच शास्त्रार्थ चलते हुए 16 दिन बीत चुके थे और ये तय नहीं हो पा रहा था कि विजेता कौन है? शास्त्रार्थ के अंतिम चरण में भारती देवी को किसी जरूरी…….

आदि गुरु शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच शास्त्रार्थ हुआ था। उस समय में शंकराचार्य जी मंडन मिश्र का किसी भी तरह से अपमान करना नहीं चाहते थे। तब कुमारिल भट्ट के बाद मंडन मिश्र बहुत विद्वान माने जाते थे। शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच शास्त्रार्थ चलते हुए 16 दिन बीत चुके थे और…