सीख; एक हिरण को अपनी कमजोरियों पर बड़ा दुख हो रहा था, हिरण ने तप करके भगवान को प्रसन्न किया, भगवान हिरण के सामने प्रकट हुए और बोले, ‘तुम क्या चाहते हो…….

पंचतंत्र में मनुष्य और पशु-पक्षियों से संबंधित कई कहानियां बताई गई हैं। इन कहानियों में पशु-पक्षियों के माध्यम से बड़ी-बड़ी शिक्षाएं भी दी गई हैं। ऐसे ही एक हिरण को अपनी कमजोरियों पर बड़ा दुख हो रहा था। हिरण ने तप करके भगवान को प्रसन्न किया।

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भगवान हिरण के सामने प्रकट हुए और बोले, ‘तुम क्या चाहते हो?’

हिरण ने कहा, ‘मैं ताकतवर बनना चाहता हूं।’

भगवान ने कहा, ‘किसकी तरह?’

हिरण बोला, ‘भेड़िये की तरह बना दो।’

भगवान हिरण को लेकर भेड़िये के पास पहुंचे तो भेड़िये ने कहा, ‘कभी-कभी तो हाथी मुझसे ज्यादा ताकतवर हो जाता है।’ इसके बाद हिरण हाथी के पास पहुंचा और पूरी बात बताते हुए कहा, ‘अगर मैं तुम्हारी तरह ताकतवर बन जाऊं तो कैसा रहेगा?’

हाथी ने कहा, ‘शेर मुझ पर आक्रमण कर देता है। वह सबसे अधिक ताकतवर है, जंगल का राजा है।’ इसके बाद हिरण शेर के पास पहुंच गया। डरते-डरते हिरण ने शेर से कहा, ‘क्या मैं आपके जैसा ताकतवर बन जाऊं? भगवान मेरे साथ हैं और पूछ रहे हैं कि मुझे किसके जैसा शक्तिशाली बनना है।’

हिरण की बात का शेर ने कोई उत्तर नहीं दिया। हिरण ने भगवान से पूछा, ‘शेर ने कोई जवाब क्यों नहीं दिया?’

तब भगवान हिरण को लेकर इंसानों की दुनिया में आ गए। वहां हिरण को सर्कस में दिखाया कि शेर-हाथी पिंजरे में बंद हैं और खेल दिखा रहे हैं। हिरण को ये देखकर समझ आया कि सबसे बड़ा बलवान तो इंसान है। उसने भगवान से कहा, ‘मुझे तो आप इंसानों की तरह बना दीजिए।’

ये बात सुनकर भगवान हिरण को लेकर एक पागलखाने पहुंच गए। यहां भी इंसान ही हैं, इन्हें अपने इंसान होने का मतलब ही नहीं मालूम है। ये उदास हैं, अशांत हैं और विक्षिप्त हैं। इस संसार में पूर्ण शांति किसी को भी नहीं मिलती है। अपने से ऊपर देखोगे तो बेचैन हो जाओगे। अपने से नीचे देखोगे तो समझ जाओगे कि जो जहां है, वह वहीं श्रेष्ठ होता है, इसलिए नकल करना बंद करो।’

सीख

जानवर, इंसान और भगवान की ये कहानी हमें सीख दे रही है कि श्रेष्ठता हमारे अंदर ही है। हम उस श्रेष्ठता का उपयोग अपनी इच्छा के अनुसार कर सकते हैं।

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