सीख; कुंती को वरदान में एक खास मंत्र मिला था, इस मंत्र के जप से कुंती जिस देवता का आव्हान करती थी, वह देवता पुत्र बनकर प्रकट हो जाता था, एक दिन राजा पांडु ने कुंती से कहा……

महाभारत में कुंती को वरदान में एक खास मंत्र मिला था। इस मंत्र के जप से कुंती जिस देवता का आव्हान करती थी, वह देवता पुत्र बनकर प्रकट हो जाता था। राजा पांडु संतान पैदा करने के लिए योग्य नहीं थे। एक दिन पांडु ने कुंती से कहा, ‘तुम मंत्र जप से देवता का आव्हान करो तो तुम्हारे गर्भ से देवता पुत्र बनकर जन्म लेंगे।’

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पांडु की बात मानकर कुंती ने देवताओं का आव्हान किया। उन्हें तीन पुत्र हुए। धर्म की कृपा से युधिष्ठिर, वायु देव से भीम और इंद्र से अर्जुन का जन्म हुआ।

पांडु की छोटी रानी का नाम था माद्री। कुंती की संतान होने से माद्री दुखी हो गई। उसने अपने पति से कहा, ‘कुंती के तीन पुत्र हो गए, गांधारी के सौ पुत्र हैं। मेरा मन बहुत दुखी है। मैं भी संतान पाना चाहती हूं, लेकिन मैं अपनी सौतन कुंती से ये बात कह नहीं सकती। मैं जानती हूं कि वह बहुत दयालु हैं। आप संतान उत्पन्न कर नहीं सकते तो मैं चाहती हूं कि आप कुंती से कहिए। मैं उनसे कहूंगी तो उन्हें शायद अच्छा न लगे। मेरा ये काम आप कर दीजिए।’

पांडु ने एकांत में कुंती से कहा, ‘माद्री का भी मन है कि उसे संतान का सुख मिले।’

ये बात सुनकर कुंती तुरंत तैयार हो गईं। कुंती ने वह मंत्र माद्री को भी बता दिया। माद्री ने मंत्र जप करते हुए अश्विनी कुमारों का स्मरण किया। अश्विनी कुमारों की कृपा से माद्री के गर्भ से जुड़वा बच्चे पैदा हुए। वे थे नकुल और सहदेव।

कुंती ने पांडु से कहा, ‘मुझे ये बात बहुत अच्छी लगी कि माद्री जो मुझसे कराना चाहती थी, उसके लिए उसने पारिवारिक व्यवस्था का पालन किया। अगर वह मुझसे सीधे ये बात कहती तो शायद मुझे अच्छा नहीं लगता, लेकिन उसने आपके माध्यम से ये बात कही।’

सीख

इस किस्से से हमें ये संदेश मिलता है कि परिवार में अलग-अलग उम्र और पद के लोग रहते हैं। हमें सभी का मान-सम्मान करना चाहिए। जब किसी सदस्य से कुछ काम कराना हो तो हमें मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए। माद्री ने पांडु की मदद लेकर कुंती से काम कराया तो कुंती को भी अच्छा लगा। घर में अपनी बात सही तरीके से रखनी चाहिए।

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