सीख; श्रीकृष्ण ने पांडवों से कहा कि मैंने कंस का वध किया था, जरासंध कंस का ससुर है और वो इसीलिए मुझसे बदला लेना चाहता है, जरासंध को पराजित करने के लिए हमें पूरी तैयारी करनी होगी, तभी उस पर विजय प्राप्त……..
महाभारत में श्रीकृष्ण पांडवों से बात कर रहे थे। श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि आप चक्रवर्ती सम्राट बनेंगे तो अधिकतर राजा आपके अधीन हो जाएंगे, लेकिन मैं जानता हूं कि जरासंध आपके अधीन नहीं होगा। जब तक जरासंध जीवित है, तब तक पूर्ण रूप से धर्म की स्थापना भी नहीं हो पाएगी। जरासंध हमारे सभी विरोधी राजाओं का प्रमुख है। इसलिए हमें उसे मारना पड़ेगा।
उस समय जरासंध ने शिशुपाल को अपना सेनापति बना दिया था। कई बड़े-बड़े राजा जरासंध के साथ थे। श्रीकृष्ण ने उन सभी राजाओं के नाम पांडवों को बता दिए जो जरासंध के साथ थे।
श्रीकृष्ण ने आगे कहा कि मैंने कंस का वध किया था। जरासंध कंस का ससुर है और वो इसीलिए मुझसे बदला लेना चाहता है। जरासंध को पराजित करने के लिए हमें पूरी तैयारी करनी होगी, तभी उस पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
पांडवों ने श्रीकृष्ण से पूछा कि हमें आप ही बताइए कि आगे क्या करना है?
श्रीकृष्ण ने कहा कि हमें सैन्य बल से नहीं कूटनीति से जरासंध से युद्ध करना होगा। इसके बाद उन्होंने योजना बनाई कि अर्जुन और भीम के साथ वे खुद भी जरासंध के राज्य जाएंगे। इसके बाद सही अवसर पर जरासंध का वध करेंगे। जरासंध का वध भी एक खास तरीके से ही हो पाएगा।
श्रीकृष्ण की योजना सुनकर युधिष्ठिर ने कहा कि आज आपने जिस प्रकार से जरासंध के बारे में और उसे पराजित करने के लिए जो योजना बताई है, उससे मैं बहुत प्रभावित हूं। मेरी नजरों आपका सम्मान और बढ़ गया है। आपने पूरी तैयारी के साथ हमें एक-एक बात समझाई है। एकदम सटीक योजना बनाई है। आपको ये भी मालूम है कि जरासंध का साथ कौन-कौन से राजा दे रहे हैं। जरासंध का वध कैसे होगा, ये भी आप जानते हैं।
इसके बाद श्रीकृष्ण की योजना के अनुसार अर्जुन और भीम के साथ वे भी जरासंध के राज्य गए और भीम ने जरासंध का वध कर दिया।
श्रीकृष्ण की सीख
श्रीकृष्ण ने इस प्रसंग में सीख दी है कि जब हमारा लक्ष्य बड़ा हो तो हमें बहुत सावधानी से योजना बनानी चाहिए। काम से जुड़ी छोटी-छोटी जानकारी भी हासिल करनी चाहिए और सही समय पर सही तरीके से काम करना चाहिए, तब ही सफलता मिल सकती है।