सीख; परमहंस की पत्नी शारदा मां महिलाओं के साथ सत्संग किया करती थीं, सत्संग सुनने रोज आने वाली महिलाओं के साथ एक और महिला आने लगी, उस नई महिला की उपस्थिति से अन्य महिलाएं……

रामकृष्ण परमहंस की पत्नी शारदा मां महिलाओं के साथ सत्संग किया करती थीं। बड़ी संख्या में महिलाएं उनके पास आती थीं। मां शारदा सत्संग में महिलाओं की जीवन शैली के बारे में खासतौर पर बोलती थीं।

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सत्संग में रोज आने वाली महिलाओं के साथ एक और महिला आने लगी। उस नई महिला की उपस्थिति से अन्य महिलाएं असहज होने लगीं और आपत्ति भी लेने लगीं। धीरे-धीरे ये बात मां शारदा तक पहुंची। कुछ महिलाओं ने मां शारदा से कहा, ‘ये जो नई महिला यहां आ रही है, ये एक वैश्या है। वैश्या का सत्संग में आना ठीक नहीं है। हमें भी इसके आने पर आपत्ति है। आप इसे यहां आने के लिए मना करें।’

अगले दिन वह महिला आई तो सभी ने सोचा कि अब मां शारदा इसे यहां आने के लिए मना कर देंगी, लेकिन मां शारदा ने उस महिला को अपने पास बुलाया और पूछा, ‘बहन तुम करती क्या हो?’

महिला ने उत्तर दिया, ‘मैं घृणित कार्य करती हूं, एक वैश्या हूं, लेकिन मुझे सत्संग बहुत अच्छा लगता है। मैं परमात्मा को पाना चाहती हैं। यहां आती हूं, आपकी देखती हूं तो मुझे लगता है जैसे मेरे पाप धुल रहे हैं। बस इसीलिए यहां आती हूं।’

ये बातें सुनकर मां शारदा ने उसे अपने पास बैठा लिया और सत्संग जारी रहा। सत्संग समाप्त हुआ और जब वह महिला वहां से चली गई तो अन्य महिलाओं ने मां शारदा से कहा, ‘आपने उसे यहां आने के लिए मना करने की जगह अपने पास और प्रेम से बैठा लिया।’

मां शारदा बोलीं, ‘सबसे पहले वह महिला भी एक इंसान है। वह क्या करती है, ये उसका दुर्भाग्य भी हो सकता है और उसकी नादानी भी हो सकती है, लेकिन किसी के ऐसे काम की वजह से उसे सत्संग में आने से रोकना सही नहीं है। सत्संग वह दुनिया है, जहां हम परमात्मा से मिलने का प्रयास करते हैं। जब भगवान इंसानों में भेदभाव नहीं करते हैं तो हमें भी नहीं करना चाहिए। हमें सभी इंसानों को सम्मान देना चाहिए।’

अगले जब वह महिला सत्संग में आई तो सभी महिलाओं ने उसे बहुत सम्मान दिया और धीरे-धीरे सभी उससे बातें भी करने लगीं।

सीख – गलत काम करने वाले लोग गलत तो होते हैं, लेकिन अगर वे अपनी गलतियां सुधारना चाहते हैं तो कम से कम सत्संग जैसी जगहों पर उनके साथ भेदभाव न करें।

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