एक राजा के दो पुत्र थे, दोनों राजकुमारों ने एक दिन सोचा कि क्यों ना जंगल का भ्रमण किया जाए, शिकार करना चाहिए, यह सोचकर दोनों राजकुमार अपने साथ कुछ सैनिकों को लेकर वन की ओर निकल पड़े, रास्ते में…..

एक राजा के 2 पुत्र थे. दोनों राजकुमारों ने एक दिन जंगल में भ्रमण करने और शिकार करने का सोचा. दोनों राजकुमार सैनिकों के साथ वन की तरफ चले गए. रास्ते में उन्होंने एक नदी देखी. राजकुमारों ने नदी में स्नान करने की सोचा. दोनों राजकुमार नदी में उतर गए. दोनों को तैरना आता था. एक राजकुमार तैरते-तैरते कुछ दूर चला गया. वहां नदी का बहाव तेज था और गहराई भी ज्यादा थी. जबकि दूसरा राजकुमार किनारे पर ही था.

जब उसने देखा कि उसका भाई बहुत आगे चला गया है तो वह नदी से बाहर निकला और उसे वापस बुलाने लगा. नदी के बीच में पहुंच चुका राजकुमार थक गया था और गहराई और बहाव देखकर घबरा गया था. तभी दूसरे राजकुमार ने किनारे पर रखा लकड़ी का बड़ा टुकड़ा पानी में फेंक दिया. लकड़ी का टुकड़ा राजकुमार के पास नहीं पहुंच सका. वह बाहर निकलने का लगातार प्रयास कर रहा था.

किनारे पर खड़ा दूसरा राजकुमार और सैनिक सोच रहे थे कि अब इसका बाहर निकलना असंभव है. यह डूब जाएंगे. सब दुखी होने लगे और किनारे पर बैठ गए. तभी यह सब देख कर नदी में डूब रहा राजकुमार निराश हो गया और उसे लगा कि अब वह नहीं बच पाएगा. कुछ देर बाद किनारे पर बैठा हुआ राजकुमार और सैनिकों ने दूसरी ओर से एक संन्यासी और युवक को उनकी ओर आते हुए देखा.

जब वे दोनों पास पहुंचे तो राजकुमार और सैनिक हैरान रह गए, क्योंकि संन्यासी के साथ नदी में डूब रहा राजकुमार भी था. तभी सबने राजकुमार से पूछा कि वह कैसे बचा तो संन्यासी ने बताया कि मैं समझाता हूं यह नदी से बाहर कैसे निकला. जब यह नदी में बहते हुए दूर तक चला गया तो वहां अकेला था और इसके साथ निराशा की बातें करने वाला कोई नहीं था. इसने खुद को समझाया कि यह नदी से बाहर निकल सकता है.अपनी सकारात्मक सोच की बदौलत इसने बाहर निकलने की कोशिश की. कुछ ही देर में इसे लकड़ी का बड़ा टुकड़ा मिल गया, जिसको पकड़कर यह किनारे तक पहुंच गया.

कहानी की सीख

इस कहानी से यह सीखने को मिलता है कि जो लोग नकारात्मकता से घिरे रहते हैं. उन्हें सफलता नहीं मिलती. इसीलिए हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए.

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